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जनपद शहपुरा में बीपीडीपी पर संग्राम, वार्षिक कार्ययोजना पर दोबारा बैठक क्यों? जनपद सदस्यों ने उठाए सवाल

डिंडौरी मध्यप्रदेश

शहपुरा, डिण्डौरी:
जनपद पंचायत शहपुरा में बी.पी.डी.पी. (ब्लॉक पंचायत डेवलपमेंट प्लान) की वार्षिक कार्ययोजना 2025-26 को लेकर सियासी उठापटक चरम पर है। 29 मार्च 2025 को आयोजित सामान्य सभा में 15 जनपद सदस्यों की उपस्थिति में सर्वसम्मति से पारित योजना को अध्यक्ष द्वारा पलटने के प्रयासों पर जनपद सदस्यों ने नाराजगी जाहिर की है।

जनपद अध्यक्ष श्रीमति प्रियंका आर्मों पर आरोप लगाया गया है कि वह व्यक्तिगत हित साधने के लिए नियमत: पारित योजना में फेरबदल करना चाहती हैं। पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 45 के तहत छह माह के भीतर एक ही विषय पर पुनर्विचार नहीं किया जा सकता, बावजूद इसके अध्यक्ष द्वारा 9 अप्रैल व 17 अप्रैल को दोबारा बैठक बुलाकर पहले से पारित प्रस्ताव को बदलने की कोशिश की जा रही है।

इस घटनाक्रम को लेकर जनपद सदस्यों ने एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया और दिनांक 17 अप्रैल 2025 को प्रस्तावित सामान्य सभा का बहिष्कार करने की घोषणा की। उन्होंने चेताया कि यदि पारित कार्ययोजना में बिना वैधानिक कारण के फेरबदल किया गया, तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को बाध्य होंगे।

इस विरोध स्वरूप प्रस्तुत आवेदन में हस्ताक्षरकर्ता 11 जनपद सदस्य शामिल रहे, जिनमें जितेन्द्र चंदेल, शांति धुर्वे, ज्योति परस्ते, देवीदीन झारिया, देवकरण परस्ते, कीर्ति साहू, दीपा परस्ते, मोती तेकाम, टेकेश्वर साहू, सरोज परस्ते और हरी सिंह आर्मो के नाम शामिल हैं।

सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि अध्यक्ष का रवैया पहले से ही भेदभावपूर्ण रहा है और 30 माह में केवल 8 बैठकें ही आयोजित की गईं, जबकि 30 बैठकें अनिवार्य थीं।

जनहित बनाम निजी हित की इस टकराहट ने शहपुरा की पंचायत राजनीति को गरमा दिया है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि प्रशासन और शासन इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं।

इनका कहना है:-

वही जनपद सीईओ शहपुरा ने भी इस विषय मे अपनी प्रतिक्रिया देते हुऐ कहाँ है की किसी भी विषय पर बैठक अगर एक बार आहूत हो जाए और उसमे बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित हो जाए तो 6 माह तक दोबारा नहीं की जा सकती। अगर दोबारा बैठक बुलानी हो तो तीन चौथाई सदस्यो का लिखित आवेदन विहित प्राधिकारी को देना होता है। विहित प्राधिकारी अधिकारी के निर्देशन के बाद ही लिए गये निर्णय मे पुनर्विचार किया जा सकता है।

अरविन्द बोरकर सीईओ शहपुरा

रिपोर्ट-अखिलेश झारिया

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