रायपुर
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उप मुख्यमंत्री अरुण साव की उपस्थिति में आज सवेरे यहां मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में सतत् योजना के अंतर्गत कम्प्रेस्ड बायो गैस के उत्पादन के लिए त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
यह त्रिपक्षीय एमओयू भारत सरकार के उपक्रम भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड तथा राज्य के नगर पालिक निगम रायपुर और भिलाई तथा छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण के मध्य किया गया है। इस एमओयू से राज्य में लगभग 200 से 250 मीट्रिक टन नगरीय ठोस अपशिष्ट का उपयोग प्रतिदिन जैव ईंधन के उत्पादन में किया जाएगा।
पेट्रोलियम मंत्रालय कम्प्रेस्ड बायो गैस के रूप में ईंधन के नए अवसर तलाश रहा है । मंत्रालय की ओर से कई राज्यों में कंप्रेस्ड बायो गैस लगाने की योजना बनाई गई है । केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने एक बयान में कहा है कि जैव ईंधन के क्षेत्र में 2025 तक 20 फीसदी की ग्रोथ का लक्ष्य सतत योजना के तहत रखा गया है। सतत योजना एक पहल है जिसका उद्देश्य विकास से जुड़े एक ठोस प्रयास के रूप में किफायती परिवहन या आवाजाही के लिए टिकाऊ विकल्प मुहैया कराना है जिससे वाहनों का इस्तेमाल करने वालों के साथ-साथ किसान एवं उद्यमी भी लाभान्वित होंगे।
छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण ( सीबीडीए) द्वारा नगरीय ठोस अपशिष्ट से जैव ईंधन के उत्पादन की अपार संभावनाओं को देखते हुए इसके लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा था। सीबीडीए के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुमित सरकार लगातार पेट्रोलियम कंपनियों एवं राज्य के नगर निगमों से इसके प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे थे। इसी के तहत भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने रायपुर और भिलाई में कम्प्रेस्ड बायो गैस संयंत्र की स्थापना में इच्छा जाहिर की और आज इसके लिये अनुबंध निष्पादित किया। इसमें सीबीडीए की ओर से सीईओ सुमित सरकार, बीपीसीएल मुंबई की ओर से मुख्य महाप्रबंधक ( बायो फ़्यूल) अनुराग सरावगी , नगर पालिक निगम रायपुर की ओर से कमिश्नर अविनाश मिश्रा एवं नगर पालिक निगम भिलाई की ओर से कमिश्नर देवेश कुमार ध्रुव ने हस्ताक्षर किये।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए सीबीडीए के सीईओ सुमित सरकार ने हमारे संवाददाता को बताया कि कम्प्रेस्ड बायो गैस एनारोबिक प्रक्रिया से बना हुआ एक प्रकार का ईंधन है । यह अत्यंत ज्वलनशील होता है, जिसका उपयोग मोटर वाहनों को चलाने के साथ ही खाना पकाने और अन्य कई कामों के लिए किया जा सकता है । कम्प्रेस्ड बायो गैस बायोमास यानी कृषि अपशिष्ट, मवेशी गोबर, सुगरकेन प्रेस मड, नगर निगम ठोस अपशिष्ट व सीवेज उपचार संयंत्रा अपशिष्ट आदि से तैयार किया जाता है । इससे बायो गैस पैदा होती है जिसमें करीब 55 फीसदी से लेकर 60 फीसदी तक मीथेन, 40 से 45 फीसदी कार्बन डाई आक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड होता है। जब बायो गैस में से कार्बन डाई आक्साइड, जलवाष्प व हाइड्रोजन सल्फाइड को हटाया जाता है और फिर कम्प्रेस किया जाता है तो सीबीजी यानी कम्प्रेस्ड बायो गैस प्राप्त होती है। जिसमें मीथेन की मात्रा 90 फीसदी होती है ।
उन्होंने आगे बताया कि राज्य में इन दो संयंत्रों में लगभग 100 करोड़ रुपए का निवेश भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। प्रत्येक संयंत्र की क्षमता 100 से 150 टीपीडी होगी। संयंत्र के निर्माण के दौरान भी बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे राज्य में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 60 हजार मानव दिवस प्रति प्रतिवर्ष रोजगार का सृजन होगा।इन संयंत्रों की स्थापना, राज्य के “ नेट ज़ीरो एमीशन” के लक्ष्य तक पहुँचने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
( राजीव खरे राष्ट्रीय उप संपादक)
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