छत्तीसगढ़ रायपुर
विद्युत नियामक आयोग किसी भी राज्य की विद्युत व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण घटक होता है। यह विद्युत वितरण कंपनी, पारेषण ( ट्रांसमिशन) कंपनी, जनरेशन कंपनी और लोड डिस्पैच सेंटर की सुचारू कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । ग़ौरतलब है कि संचालन क्षमता बनाए रखने तथा चल रहे मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिदिन कुशल प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
नियामक आयोग का दूसरा मुख्य दायित्व उपभोक्ता संरक्षण और संचालन क्षमता के प्रबंधन व नियंत्रण का होता है। नियामक आयोग उपभोक्ता संरक्षण और विद्युत क्षेत्र के संचालन में आने वाली समस्याओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ताओं सहित सभी हितधारकों के हितों की रक्षा की जाए।
इसे राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि
छत्तीसगढ़ में, विद्युत नियामक आयोग वर्तमान में एक अधूरी कोरम के कारण लगभग निष्क्रिय हो चुका है। सामान्यत: इस आयोग में एक अध्यक्ष और दो सदस्य होते हैं—एक तकनीकी क्षेत्र से और एक न्यायिक क्षेत्र से। फिलहाल, यहाँ ये दोनों सदस्यों के पद रिक्त हैं, और केवल अध्यक्ष पद पर ही अधिकारी कार्यरत है। इस वजह से कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हो पा रही है, जिससे राज्य के हितधारकों के लिए अपनी समस्याओं के समाधान में गंभीर विलंब और समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
इतना ही नहीं इसके अलावा, राज्य विद्युत कंपनियों में अध्यक्ष का पद भी रिक्त है और इसे ऊर्जा सचिव द्वारा एक अतिरिक्त कार्य के रूप में संभाला जा रहा है, जो मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी कार्य करते हैं। मुख्यमंत्री के सचिव एक अत्यंत योग्य अधिकारी हैं पर उनके सचिवीय कर्तव्यों की महत्ता के कारण उनकी व्यस्तता के चलते उनके लिये इस महत्वपूर्ण पद को पर्याप्त समय देना संभव नहीं हो पा रहा है, जिससे विद्युत क्षेत्र के कार्यों पर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और हितधारकों के बीच संघर्ष बढ़ रहे हैं।
इन गंभीर मुद्दों को देखते हुए, उच्चतम स्तर पर सरकार से नियामक आयोग में रिक्त पदों पर शीघ्र सदस्यों की नियुक्ति करने के लिये सरकार से तत्काल हस्तक्षेप बहुत ज़रूरी है, ताकि इसकी कार्यप्रणाली को व्यवस्थित रूप से पुनः बहाल किया जा सके। साथ ही राज्य विद्युत कंपनियों के लिए एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की भी तत्काल नियुक्ति की जाना ज़रूरी है, जिससे कंपनियों के नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित किया जा सके और क्षेत्रीय संघर्षों का समाधान हो सके।
( छत्तीसगढ़ ब्यूरो)
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