रायपुर
छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ते साइबर अपराधों के बीच राज्य में अब तक कोई साइबर एक्सपर्ट नियुक्त नहीं किया गया है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकी साक्ष्यों के सत्यापन में गंभीर चुनौतियां आ रही हैं। इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल शामिल हैं, ने गहरी चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने राज्य में जल्द से जल्द साइबर विशेषज्ञों की नियुक्ति के निर्देश दिए हैं और केंद्र सरकार से शपथपत्र के माध्यम से जवाब मांगा है।
यह मामला तब सामने आया जब अधिवक्ता शिरीन मालेवर ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर इस कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया। याचिका में बताया गया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79-ए के तहत अब तक राज्य में कोई साइबर एक्सपर्ट या परीक्षक नियुक्त नहीं किया गया है। वहीं, देशभर में 16 अन्य स्थानों पर पहले से ही ऐसे विशेषज्ञों की नियुक्ति हो चुकी है।
बीते कुछ वर्षों में साइबर अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है। बैंक धोखाधड़ी, सोशल मीडिया हैकिंग, डिजिटल ठगी, फेक न्यूज़ और ऑनलाइन फिशिंग जैसे मामलों में आम नागरिकों से लेकर बड़े संस्थान तक प्रभावित हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में ही साइबर क्राइम से जुड़े हजारों मामले लंबित हैं, लेकिन तकनीकी विशेषज्ञों की अनुपस्थिति के कारण जांच में देरी हो रही है। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के सत्यापन के लिए साइबर एक्सपर्ट का होना आवश्यक है, ताकि अपराधियों को समय रहते पकड़ा जा सके और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा न आए।
देश में डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन गतिविधियों में बढ़ोतरी के साथ साइबर सुरक्षा को लेकर नई रणनीतियों की आवश्यकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, साइबर पुलिसिंग यानी डिजिटल अपराधों की रोकथाम के लिए समर्पित पुलिस बल और अत्याधुनिक जांच तकनीकों को अपनाना अब जरूरी हो गया है।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)
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