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छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण पर सियासी घमासान: कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने

रायपुर 12 जनवरी 2025

छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर तीखे आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रमुख दीपक बैज ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह राज्य की आधी आबादी के साथ अन्याय कर रही है।

भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 27% करने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित किया था। इस प्रस्ताव के तहत छत्तीसगढ़ में कुल आरक्षण को 58% तक ले जाने की योजना थी, जिसमें अनुसूचित जाति (SC) को 13%, अनुसूचित जनजाति (ST) को 32%, और ओबीसी को 27% आरक्षण देने की बात थी।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने राज्य में 50% से अधिक आरक्षण पर रोक लगाते हुए इस पर स्थगन आदेश जारी कर दिया। कोर्ट ने यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का हवाला देते हुए दिया, जिसमें आरक्षण की सीमा 50% तय की गई है।

पीसीसी चीफ दीपक बैज ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसकी नीतियां ओबीसी समुदाय के खिलाफ हैं। बैज ने कहा, “बीजेपी ने जानबूझकर इस मुद्दे को उलझाया और न्यायालय में प्रभावी पैरवी नहीं की। इससे छत्तीसगढ़ के ओबीसी समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।”

बैज ने सवाल उठाया कि जब महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में 50% से अधिक आरक्षण लागू हो सकता है, तो छत्तीसगढ़ में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने बीजेपी सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी की नीतियां ओबीसी विरोधी हैं।

दूसरी ओर, बीजेपी ने कांग्रेस पर सस्ती राजनीति करने का आरोप लगाया है। बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने बिना संवैधानिक ढांचे का पालन किए आरक्षण बढ़ाने का फैसला लिया, जिसके कारण कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। बीजेपी ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे को केवल चुनावी लाभ के लिए उठाया था।

राज्य में ओबीसी आरक्षण का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों इस मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भुनाने में लगी हैं।

संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि आरक्षण के मामले में राज्यों को संवैधानिक प्रावधानों का पालन करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद इस मुद्दे का समाधान संभव है, लेकिन तब तक राजनीतिक बयानबाजी जारी रहने की संभावना है।

छत्तीसगढ़ में ओबीसी समुदाय की बड़ी आबादी को देखते हुए यह मुद्दा आगामी चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है। अब यह देखना होगा कि कोर्ट का फैसला और राजनीतिक समीकरण इस मामले को किस दिशा में ले जाते हैं।

( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़) 

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