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छत्तीसगढ़ महतारी वंदन योजना में गड़बड़ियां उजागर, विधानसभा में विपक्ष का सरकार पर हमला

छत्तीसगढ़

रायपुर।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को महतारी वंदन योजना में गड़बड़ियों को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना किसी स्पष्ट प्रक्रिया के 63,000 से अधिक महिलाओं का नाम योजना से हटा दिया, जिससे हजारों पात्र लाभार्थी योजना के लाभ से वंचित रह गए।

विधानसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उमेश पटेल ने सरकार से सवाल किया कि जब योजना के तहत शुरू में 70 लाख से अधिक महिलाओं का पंजीकरण किया गया था, तो अब यह संख्या घटकर 69 लाख क्यों रह गई? उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह आंकड़ों में हेरफेर कर रही है और महिलाओं को उनके हक से वंचित किया जा रहा है।

इस पर महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने सफाई देते हुए कहा कि कई महिलाओं के नाम दोहरे पंजीकरण, गलत दस्तावेज और स्वेच्छा से लाभ छोड़ने के कारण हटाए गए हैं। लेकिन विपक्ष ने इस स्पष्टीकरण को अस्वीकार कर दिया और सरकार को घेरते हुए वॉकआउट कर दिया।

“महिलाओं के साथ अन्याय”

कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा, “पहले तो सरकार ने महिलाओं से फॉर्म भरवाए, फिर अब उनके नाम काटकर उन्हें योजना से बाहर कर दिया जा रहा है। यह सरासर अन्याय है।” उन्होंने कहा कि सरकार को तत्काल इस मुद्दे की जांच करानी चाहिए और हटाई गई महिलाओं को फिर से योजना में शामिल करना चाहिए।

भाजपा का पलटवार

सरकार की ओर से भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कांग्रेस के आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि महतारी वंदन योजना के तहत महिलाओं को उनकी पहली किस्त जल्द ही दे दी जाएगी, और इस मामले में अनावश्यक राजनीति की जा रही है।

सदन में हंगामा, जांच की मांग

विपक्ष के सवालों के बाद सदन में माहौल गर्म हो गया। कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और मांग की कि योजना में की गई अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच हो। लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी प्रक्रिया में पारदर्शिता बरत रही है और अनावश्यक राजनीति से बचने की जरूरत है।

महिलाओं में रोष

इस विवाद के बीच कई महिलाएं, जिन्हें योजना से बाहर कर दिया गया है, सरकार से जवाब मांग रही हैं। कई प्रभावित महिलाओं ने कहा कि उन्होंने योजना के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज जमा किए थे, फिर भी उनका नाम सूची से हटा दिया गया।

अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या विपक्ष की मांग पर जांच कराई जाती है या नहीं। लेकिन विधानसभा में उठे इस हंगामे ने महतारी वंदन योजना की पारदर्शिता पर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)

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