बीजापुर, 16 जनवरी 2025
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक के पुजारी कांकेर व मारुड़बाका के जंगल में गुरुवार को सुरक्षाकर्मियों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई, जिसमें 18 नक्सली मारे गए।यह इलाक़ा लंबे समय से नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। सुरक्षाबलों की सतर्कता और योजनाबद्ध कार्रवाई ने इस अभियान को सफल बनाया।
उसूर ब्लॉक का पुजारी कांकेर व मारुड़बाका बीजापुर जिले का बेहद संवेदनशील क्षेत्र है, जहां नक्सली गतिविधियां काफी समय से सक्रिय हैं। यह इलाका घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों से घिरा है, जिससे नक्सलियों को छिपने और अपनी रणनीति बनाने में मदद मिलती है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, नक्सली यहां लंबे समय से डेरा जमाए हुए थे और किसी बड़ी घटना की योजना बना रहे थे।
सूचना मिलने के बाद सुरक्षाबलों एवं जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इस दौरान नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया, लेकिन सुरक्षाबलों ने तत्काल जवाबी कार्रवाई की। मुठभेड़ में 18 नक्सली मारे गए, जिनमें कुछ वांछित नक्सली कमांडर भी शामिल हैं।
मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटक सामग्री और नक्सल साहित्य बरामद किया गया है। ऑपरेशन के बाद आसपास के इलाके को घेरकर सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है, ताकि बचे हुए नक्सलियों को पकड़ा जा सके।
राज्य के मुख्यमंत्री ने इस मुठभेड़ को सुरक्षाबलों की बड़ी उपलब्धि करार देते हुए कहा, “बीजापुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस प्रकार की कार्रवाई करना हमारी नक्सल विरोधी नीति की सफलता को दर्शाता है।” केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी सुरक्षाबलों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उसूर के आसपास के गांवों में इस ऑपरेशन के बाद से राहत और विश्वास का माहौल है। लंबे समय से नक्सल आतंक झेल रहे स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि अब उनके इलाके में शांति और विकास का रास्ता खुलेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे जंगल व पहाड़ी इलाकों में नक्सलियों का पूरी तरह सफाया करना आसान नहीं है, लेकिन यह ऑपरेशन सुरक्षा बलों के मनोबल को बढ़ाने वाला है। अब इन इलाकों में विकास योजनाओं को तेजी से लागू करना जरूरी है, ताकि नक्सलवाद की जड़ें कमजोर हो सकें।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)
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