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छत्तीसगढ़: नक्सल आतंक और माइनिंग विवादों के बीच दहशत का माहौल- पद्मश्री वैद्यराज हेमचंद मांझी ने की सम्मान लौटाने की पेशकश ।

नारायणपुर 25 जनवरी 2025

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सलियों ने पद्मश्री से सम्मानित वैद्यराज हेमचंद मांझी समेत छह लोगों के खिलाफ मौत का फरमान जारी किया है। नक्सलियों द्वारा क्षेत्र में फेंके गए पर्चों में इन व्यक्तियों पर खदानों की दलाली करने और पुलिस कैंपों का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है। यह पर्चे नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की ओर से जारी किए गए हैं। नक्सलियों की पूर्व बस्तर डिवीजन कमेटी ने नारायणपुर के धौड़ाई के पास यह पर्चा फेंका है, जिसमें लिखा है कि, आमदाई खदान का समर्थन और मदद करने वालों को मार डालेंगे। इनमें वैद्यराज हेमचंद मांझी, सरपंच हरिराम मांझी, नारायण नाग, तिलक बेलसरिया, परिवहन संघ अध्यक्ष शरद और रामेश्वर बघेल दलाल के नाम शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ लंबे समय से नक्सली आतंक का शिकार रहा है। राज्य के बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा जैसे इलाके नक्सल हिंसा के मुख्य केंद्र हैं। नक्सली संगठन खुद को आदिवासियों के हक और अधिकारों का रक्षक बताते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य सरकारी नीतियों का विरोध करना और माइनिंग, भूमि अधिग्रहण, और वन संसाधनों के दोहन को रोकना है। छत्तीसगढ़ देश के खनिज संसाधनों में सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है। यहां लौह अयस्क, बॉक्साइट, कोयला और अन्य खनिजों के बड़े भंडार हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था खनन पर निर्भर है, लेकिन यह गतिविधि स्थानीय लोगों के लिए समस्याएं भी खड़ी करती है।
खनन परियोजनाओं के लिए आदिवासी भूमि का अधिग्रहण किया जाता है, जिससे हजारों परिवार विस्थापित होते हैं।बड़े पैमाने पर वनों की कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन हुआ है। आदिवासी समुदाय, जो अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं, सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।माइनिंग से होने वाले मुनाफे का बड़ा हिस्सा कंपनियों और सरकार को जाता है, जबकि स्थानीय लोगों को रोजगार या मुआवजा पर्याप्त नहीं मिलता।
नक्सलियों का कहना है कि वैद्यराज हेमचंद मांझी और अन्य व्यक्ति खदानों के लिए दलाली कर रहे हैं और पुलिस कैंपों का समर्थन कर रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि माइनिंग और सुरक्षा बलों की तैनाती जैसे मुद्दे नक्सलियों के लिए संघर्ष का प्रमुख कारण बने हुए हैं। वैद्यराज ने व्यथित होकर पद्मश्री लौटाने की पेशकश की है।

सरकार ने प्रभावित व्यक्तियों की सुरक्षा बढ़ाने और नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। साथ ही, आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के माध्यम से विकास योजनाओं को तेज करने की आवश्यकता है।

छत्तीसगढ़ में नक्सल आतंक, माइनिंग विवाद और आदिवासी असंतोष एक गंभीर समस्या है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को विकास और संवाद का ऐसा मॉडल अपनाना होगा, जो न केवल सुरक्षा बलों की ताकत बढ़ाए, बल्कि आदिवासियों के अधिकारों और पर्यावरण को भी संरक्षित करे।

( गणेश वैष्णव बस्तर ब्यूरो)

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