जयपुर
आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस बार मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं करेगी। वर्ष 2014 के बाद से बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और करिश्मे का बेहतर इस्तेमाल कर के सामूहिक नेतृत्व से कई सफलताऐं प्राप्त की हैं। इस नए गेम प्लान का संकेत वह मध्यप्रदेश में दे चुकी है और अब राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में भी बीजेपी सामूहिक नेतृत्व के ज़रिये चुनावी मैदान में उतर रही है।इससे चुनाव की शुरुआत में ही चेहरा पेश करने से होने वाली गुटबाजी के ख़तरे को रोकने में मदद के साथ चुनाव जीतने के बाद हाई कमान को अपना मन पसंद सीएम बनाने की सुविधा भी मिलती है।
हालाँकि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का लाभ बीजेपी को उत्तर प्रदेश, हरियाणा, असम और त्रिपुरा में ले चुकी है, पर इसे जीत की गारंटी नहीं माना जा सकता । मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित कई प्रदेशों में विधानसभा चुनाव जल्द ही होने हैं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार फिर से आती दिख रही है, राजस्थान में यदि बीजेपी ने वसुंधरा को दूर रखा तो बीजेपी की जीत भी दूर ही रहती नज़र आ रही है और मध्यप्रदेश में तो शिवराज के प्रति जनता की नाराज़गी से बीजेपी के हाथों से सत्ता जाती दिख रही है, तो ऐसे में सीएम का चेहरा दिखा कर चुनाव में अपनी ही पार्टी में असंतोष मोल लेना बीजेपी कभी नहीं चाहेगी । ऐसे में सामूहिक नेतृत्व ही उसको सहारा दिख रहा है। देखना यह है कि यह पैंतरा उसको आगामी विधानसभा चुनावों में कितना फ़ायदा दिला पाता है।
( राष्ट्रीय ब्यूरो)
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