इंदौर
आदि शंकराचार्य जी से प्रश्न किया गया कि “परिपक्वता” का क्या अर्थ है?
आदि शंकराचार्य जी ने उत्तर दिया कि –
1. परिपक्वता वह है – जब आप दूसरों को बदलने का प्रयास करना बंद कर दे, इसके बजाय स्वयं को बदलने पर ध्यान केन्द्रित करें.
2. परिपक्वता वह है – जब आप दूसरों को, जैसे हैं,वैसा ही स्वीकार करें.
3. परिपक्वता वह है – जब आप यह समझे कि प्रत्येक व्यक्ति उसकी सोच अनुसार सही हैं.
4. परिपक्वता वह है – जब आप “जाने दो” वाले सिद्धांत को सीख लें.
5. परिपक्वता वह है – जब आप रिश्तों से लेने की उम्मीदों को अलग कर दें और केवल देने की सोच रखे.
6. परिपक्वता वह है – जब आप यह समझ लें कि आप जो भी करते हैं, वह आपकी स्वयं की शांति के लिए है.
7. परिपक्वता वह है – जब आप संसार को यह सिद्ध करना बंद कर दें कि आप कितने अधिक बुद्धिमान है.
8. परिपक्वता वह है – जब आप दूसरों से उनकी स्वीकृति लेना बंद कर दे.
9. परिपक्वता वह है – जब आप दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर दें.
10. परिपक्वता वह है – जब आप स्वयं में शांत है.
11. परिपक्वता वह है – जब आप जरूरतों और चाहतों के बीच का अंतर करने में सक्षम हो जाए और अपनी चाहतो को छोड़ने को तैयार हो
12. आप तब परिपक्वता प्राप्त करते हैं – जब आप अपनी ख़ुशी को सांसारिक वस्तुओं से जोड़ना बंद कर दें.
आप सभी को सुखी परिपक्व जीवन की शुभकामनाएं.
नीना जैन लाइफ कोच दूरदर्शन एंकर न्यू जर्सी अमेरिका
रिपोर्ट -अनिल भंडारी
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