जगदलपुर
“मजदूरी करने वाले सुभाष का पूरा घर बाढ़ में बह गया। पत्नी, दो बेटियों और उनके तीन बच्चों के साथ वे मंगल भवन में रहने को मजबूर हैं।
‘मैंने दिन-रात मजदूरी की, हाथों पर छाले पड़ गए। पाई-पाई जोड़कर घर बनाया, लेकिन बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया। अब सिर ढकने के लिए न छत बची है, न खाने को दाना और न पहनने को कपड़ा है। सोना-चांदी भी पानी के साथ बह गया। अब बची है तो सिर्फ जिंदगी।’
हरिहर सिंह ठाकुर पुलिस वाला न्यूज जगदलपुर
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