बालाघाट मध्यप्रदेश
बालाघाट -प्रदेश का जिला बालाघाट अपने आप में धान का कटोरा कहलाता है सर्वाधिक धान उत्पादन के लिए प्रदेश भर में यह जिला प्रसिद्ध है तो तस्करी होना भी लाजमी है। हर साल शासन स्तर पर की जाने वाली धान खरीदी के प्रारंभ होते ही धान की हेराफेरी कर दूसरे राज्यों में बेचने वाले दलाल और इनके आका तस्करों का नेटवर्क भी सक्रिय हो जाता है बड़े पैमाने पर धान की तस्करी पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के गोंदिया होते हुए बाहर जाती है। हालांकि जिला प्रशासन धान तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए दूसरे राज्यों को जोड़ने वाले जिले के बॉर्डर पर अपना अमला तैनात करता है साथ ही फ्लाइंग स्कॉट व संबंधित विभागीय अधिकारियों को भी इसके लिए लगाया जाता है लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था हर वर्ष सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाती है। शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान की बड़े पैमाने पर तस्कर दलाल और मिलर्स साठगांठ कर दूसरे राज्यों में धान बेचकर मालामाल होते चले आ रहे है। अभी तक के वर्षों में धान तस्करी बेधड़क चलते रही है लेकिन जिस प्रकार से नए कलेक्टर मृणाल मीणा द्वारा कार्यवाही की जा रही है और हर क्षेत्र में पूरी नजर रखी जा रही है उससे धान तस्करों के कान खड़े हो गए है। धान की तस्करी करने वाले लगभग सभी लोग यह सोच में पड़ गए है कि इस वर्ष वे लोग धान तस्करी कर पाएंगे या नहीं। आपको बताए कि इस वर्ष धान खरीदी का जिम्मा नॉन के जिला प्रबंधक पीयूष माली साहब को दिया गया है, तभी से बहुतायत लोगो की नींद खराब हो गई है। सभी लोग यह भलीभांति जानते है कि पीयूष माली साहब अपने ईमानदार स्वभाव के लिए जाने जाते है तथा वे चावल की क्वालिटी से बिल्कुल भी समझौता नहीं करते है। दोनों ही युवा अधिकारी को धान खरीदी और धान मिलिंग का कार्य संभालना है इसके बीच जिले से होने वाली धान तस्करी और बाहर अन्य राज्यों से बुलाए जाने घटिया और निम्न स्तर के चावल को रोक पाना बड़ी चुनौती होगी।
क्यों आया था यूपी बिहार का चावल
हाल ही में प्रशासन द्वारा दो राइस मिल का औचक निरीक्षण कर कार्यवाही की गई। जो जानकारी सामने आई उसके अनुसार एक राइस मिल में यूपी बिहार से बुलाया हुआ 2000 क्विंटल फोर्टीफाइड चावल था। जब बालाघाट में मिलर्स को पर्याप्त धान मिलिंग के लिए उपलब्ध हो जाता है तो बाहर अन्य राज्यों से फोर्टीफाइड चावल बुलाने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है। इस जिले यह सब लंबे समय से चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा। गत दिवस कलेक्टर के आदेश पर दो राइस मिलो का संबंधित अधिकारियों द्वारा दिखावे के लिए निरीक्षण किया गया, जबकि इन अधिकारियों को हर दो दिन में औचक निरीक्षण करना चाहिए।
रात भर होती रहती है तस्करी
समीपवर्ती राज्य महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ के लिए जिले से धान तस्करी वैसे तो पूरे साल भर होते रहती है लेकिन यह प्रमुख तौर पर धान खरीदी के समय से शुरू होकर तीन चार माह तक बड़े पैमाने पर होती है। धान तस्करी वाले ट्रक रजेगांव, खैरलांजी से खैरी के रास्ते, सालेटेकरी मार्ग सहित अन्य दो तीन मार्ग से होकर गुजरते है। इन वाहनों की आवाजाही रात्रि के समय ही अधिक होती है।
मूकदर्शक की भूमिका में रहते है नाके में तैनात लोग
जिला प्रशासन द्वारा धान तस्करी को रोकने के लिए जिले के सभी सीमाओं पर कर्मचारी तैनात कर दिए गए है, उन कर्मचारियों को मूकदर्शक की भूमिका में ही देखा गया है। सिर्फ रजिस्टर मेनटेन करने से ड्यूटी पूरी हो जाती है, नाके में तैनात लोगों को यह पूछने और देखने का पावर दिया जाना चाहिए कि ट्रक में लोडेड धान की क्षमता कितनी है तथा उसके अनुसार उसकी अनुज्ञा कटी है या नहीं। साथ ही ट्रक में रखी धान का आरओ कहा का कटा है ताकि वे कर्मचारी खामी पाए जाने पर फ्लाइंग स्कॉट या अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दे सके।
रितेश सोनी
बालाघाट
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