रायपुर
कांग्रेस के घोषणा पत्र और उसके नेताओं के भाषण के विषय में लगातार उस दल द्वारा भ्रांति फैलाई जा रही है, जो चुनाव जीत रहा है। पर सच्चाई यह है कि लोग अब समझने लगे हैं। लगातार अलग-अलग जगह किये गए सर्वेक्षण एवं अलग-अलग आर्थिक स्तर व विभिन्न धर्मों के लोगों से लिये फ़ीडबैक में एक यह बात सामने आ रही है कि 15000 से 25000 रु प्रति माह की आय सीमा के लगभग 61% लोगों का यह मानना है कि यदि भारत की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी है तो इतनी महंगाई क्यों है। लोग बढ़ी क़ीमतों से दुखी हैं। बढ़ते धार्मिक विद्वेष के लगभग 70 % हिंदू समर्थक हैं पर दूसरे धर्मों के लगभग 92% विरोध में हैं। लोगों में इस बार मतदान में रुचि नहीं है, क्योंकि लगभग 37% लोगों को ये लगने लगा है कि सब नेता, सब दल एक जैसे हैं।केजरीवाल प्रकरण में लगभग 64% लोगों का यह मानना है कि उनके ख़िलाफ़ केस नहीं बनता और ज़बरदस्ती उनको जेल भेजा गया है। मणिपुर प्रकरण में लगभग 59% प्रतिशत लोगों का मानना है कि बीजेपी सरकार की गलती है और प्रधानमंत्री को भी लोग ग़लत मान रहे हैं। और सबसे बड़ा सरप्राइज़ कांग्रेस के संपत्ति बँटवारे की बात पर सिर्फ़ अमीर लोग डर रहे हैं। ( चाहे वह किसी भी दल के क्यों न हों) बाक़ी जिन भी ग़रीबों को इसकी जानकारी मिल रही है वह इसे सराह रहे हैं। और बीजेपी जिस ढंग से इसका विरोध कर रही है वह उसका डर मान रहे हैं। कांग्रेस का यह दांव अगर सभी ग़रीबों तक पहुँच गया तो मास्टर स्ट्रोक हो सकता है । ( पर कांग्रेस के नेता जिन्होंने खूब बनाया है इसके विरोध में हैं) पर तथ्य यह है कि भारत में करदाता लगभग 7.5 करोड़ हैं जिसमें से भी लगभग 5.4 करोड़ “ ज़ीरो टैक्स “ के दायरे में हैं। याने मुख्य ख़तरा सिर्फ़ लगभग 2.1 करोड़ लोगों को है।पर इन सब अंतर्विरोधों के बाद भी बीजेपी यह चुनाव बहुमत से जीत रही है, और अधिकांश लोग इसे देश के लिये शुभ मान रहे हैं।
(राजीव खरे- राष्ट्रीय उप संपादक)
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