भुवनेश्वर
ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में बड़ागांव तहसील के गर्गदबहाल गांव की मात्र 5,000 रुपये प्रतिमाह वेतन पाने वाली आशा कार्यकर्ता मटिल्डा कुल्लू न तो बिजनेस लीडर हैं और न ही बहुत पढ़ी-लिखी पर उनका अच्छा काम ही उनकी पहचान है।
मटिल्डा जिस गांव से हैं, वहां स्वास्थ्य सुविधाएँ न के बराबर थीं। बीमार पड़ने पर भी गाँव वाले डॉक्टर के पास या अस्पताल जाने के बजाय झाड़-फूंक, जादू-टोना या स्थानीय जड़ी-बूटियों से इसका इलाज कराते थे । उनकी मानता थी कि इससे और पूजा पाठ से वे ठीक हो जाऐंगे । उनकी इस मानसिकता को बदलना मटिल्डा का पहला लक्ष्य था। मटिल्डा को गाँव के लोगों को अस्पताल जाकर में अपना परीक्षण करवाने के लिये समझाने में महीनों लग गए । वह घर-घर जाकर विशेषकर उन घरों में जाकर जहां गर्भवती महिलाएं थीं गाँव वालों को अस्पताल में जाकर स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बतातीं।। चूंकि गांव में गर्भवती महिलाएँ प्रसव के लिए अस्पताल नहीं जाती थीं, इसलिए प्रसव में जटिलताओं के के चलते मृत्यु दर भी ज़्यादा थी। पर मटिल्डा की सतत् प्रयासों ने इस स्थिति को बदल दिया। पहले गाँव में गर्भवती महिलाओं को बुनियादी पूरक आहार लेना तक मुश्किल होता था। पर उन्होंने गर्भवती महिलाओं की जांच कर हर संभव सहायता प्रदान की। धीरे धीरे अस्पताल में प्रसव सफल होने से महिलाएं भी उन पर विश्वास करने लगीं। अब तक मटिल्डा 200 से अधिक डिलीवरी में सहायता कर चुकी हैं और अब वह लगभग 1000 लोगों की देखभाल की ज़िम्मेवारी निभा रही हैं । मटिल्डा उनके स्वास्थ्य के सभी रिकॉर्ड संधारित कर रही हैं और उनकी स्वास्थ्य की परेशानियों को भलीभाँति समझती हैं।
मटिल्डा के प्रयासों से गाँव के लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति सोच तो पूरी बदल गई पर वर्षों की सेवा के बाद भी मटिल्डा का वेतन ज़्यादा नहीं बदला । आज उन्हें हर महीने लगभग मात्र 5,000 रुपये मिलते हैं।
फोर्ब्स इंडिया वुमेन-पावर 2021 की सूची में अमेजन की हेड अपर्णा पुरोहित और बैंकर अरुंधति भट्टाचार्य, अपर्णा पुरोहित और आईपीएस अधिकारी रेमा राजश्वरी जैसी बडी हस्तियों के साथ शामिल होने वाली पहली आशा कार्यकर्ता होना मटिल्डा के लिये बहुत गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके गांव से बाहर भी कोई उन्हें जानता होगा पर बाद में लोगों ने उनको बताया कि यह कितना बड़ा सम्मान है।
( राजीव खरे – राष्ट्रीय उप संपादक)
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