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ऐतिहासिक दलपत सागर लुप्त होने के कगार पर

छत्तीसगढ़
जगदलपुर
 बस्तर वैसे तो कई प्रकार से अपनी एक अलग पहचान रखता है जैसे कि बस्तर का दशहरा, आदिवासी परम्परा, चित्रकोट जलप्रपात आदि। पर अब बस्तर की अलग पहचान रखने में जगदलपुर शहर में स्थित दलपत सागर का नाम भी शामिल हो चुका है जो कि शहर के मोतीतालाब पारा में स्थित है।
दलपत सागर का निर्माण बस्तर रियासत के महाराजा दलपत देव ने करवाया था उन्हीं के नाम पर उक्त तालाब का नाम दलपत सागर पड़ा है। प्राचीन अभिलेखों के अनुसार उक्त तालाब का सम्पूर्ण क्षेत्रफल लगभग 372 एकड़ का था किन्तु समय बीतने के साथ जगदलपुर शहर बढता गया और राजस्व विभाग एवं जिला प्रषासन की लापरवाही से तालाब के अधिकांष भूमि पर लोगों से कब्जा कर मकान निर्माण कर लिया और सम्पूर्ण दलपत सागर आज की स्थिति में लगभग 280 एकड़ में सीमट गया है।
दलपत सागर की भूमि पर अवैध कब्जा करने में कॉलोनाजर भी पीछे नहीं रहे। दलपत सागर के किनारे बलदेव स्टेट नामक कॉलोनी निर्माण किया गया है । उक्त कॉलोनी तक पहुंचने हेतु दलपत सागर की जमीन पर बंड का निर्माण किया गया है जिसे हटाने/तोड़ने हेतु दलपत सागर बचाओ अभियान के सदस्यों के द्वारा आंदोलन किया तो कॉलोनी के मालिकों द्वारा आपित्त करते हुए यह कहा गया कि बंड का निर्माण कानूनी तौर पर किया गया है। राजनीतिक एवं प्रशासनिक दबाव में उक्त आंदोलन रोकना पड़ा पर जब यह मामला मामला भोपाल मध्यप्रदेश स्थित ग्रीन ट्रिव्यूबनल के समक्ष प्रस्तुत किया गया तो दलपत सागर बचाओ अभियान के सदस्यों के पक्ष में फैसला आया तथा कॉलोनी तक पहुंचने हेतु निर्माण किया गया बंड को तोड़ने का आदेश दिया गया । किन्तु राजनीतिक एवं प्रशासनिक दबाव में इस बंड को तोड़ने नहीं दिया गया, दूसरी तरफ दलपत सागर में जलकुम्भी का जमाव बढ़ता गया और आज की स्थिति में सम्पूर्ण दलपत सागर जलकुम्भी से पट गया है जिसे निकालने/साफ करने हेतु जिला प्रशासन एवं नगर निगम के द्वारा समय-समय पर प्रयास तो किया जा रहा है किन्तु स्थिति यथायत बनी हुई है।
दलपत सागर शहर का सबसे ऐतिहासिक तालाब है तथा यह बस्तर जिले की धरोहर है ।इससे शहर के लोगों की भावनाएं जुडी हुई हैं, अगर तालाब की जमीन पर अवैध कब्जा रोकने एवं तालाब में उत्पन्न जलकुम्भी को साफ करने हेतु कोई ठोक कदम नगर पालिक निगम या जिला प्रशासन द्वारा समय रहते नहीं उठाया जाता है तो वह दिन दूर नहीं जब सम्पूर्ण दलपत सागर जलकुम्भी से पट जाएगा और इसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।  
( जगदलपुर ब्यूरो)

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