Policewala
Home Policewala एक से कृत्य के लिए दो कानून एवं नियम कैसे हो सकते हैं –
Policewala

एक से कृत्य के लिए दो कानून एवं नियम कैसे हो सकते हैं –

भोपाल – मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग सतपुड़ा भवन एवं सचिवालय में पदस्थ आई ए एस अधिकारियों को एक प्रतिनियुक्ति पर विगत दस वर्ष से अधिक समय से पदस्थ अकादमिक अधिकारी धीरेन्द्र शुक्ला द्वारा नोटशीट पर जो लिखा जाता है मनमर्जी से विधि विरुद्ध एवं आर्थिक अनियमितताएं करवा रहा है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण शासन का करोड़ों रुपया धीरेन्द्र शुक्ला ने निजी बैंक में खाता खोलकर जमा करा दिया परंतु जब राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव को दोषी पाकर विधि अनुसार कार्यवाही की गई तो फिर एक से कृत्य के लिए दो कानून एवं नियम कैसे हो सकते हैं जिसके आधार पर धीरेन्द्र शुक्ला को अभय दान दिया गया है सूचना के अधिकार कानून के तहत संबंधित जानकारी चाही गई तो विभागीय तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी मनोज सिंह सतपुड़ा भवन एवं सचिवालय उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हुए संपूर्ण नस्तियों सहित दस्तावेजों को ही गायब कर दिया गया है जो प्रत्यक्ष रूप से कानून का उल्लंघन एवं भ्रष्टाचार युक्त कृत्य है, जबकि धीरेन्द्र शुक्ला द्वारा पूर्व से किये जा रहे भ्रष्टाचार एवं विधि विरुद्ध कृत्यों की जानकारी महामहिम राष्ट्रपति महोदया जी के संज्ञान में लाये जाने के उपरांत तत्कालीन मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन वीरा राणा जी सहित वर्तमान मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन अनुराग जैन को जाँच हेतु सचिवालय राष्ट्रपति भवन द्वारा पत्र भी जारी किये जा चुके हैं परंतु धीरेन्द्र शुक्ला के तिलिस्म के आगे सभी विभागीय उच्च अधिकारी नतमस्तक हैं जो कि प्रदेश की प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न चिन्ह है आखिर कौन रोक रहा है , निष्पक्ष एवं समान संविधान समान अधिकार के तहत जाँच एवं कार्यवाही करने से। संभवतः अनुपम राजन जी की नजरों में विधान सभा सदस्य सहित राजभवन के द्वारा जारी आधा दर्जन से अधिक स्पष्ट निर्देशों की कोई अहमियत नहीं है तभी तो माननीय विधान सभा सदस्य विवेक (विक्की) पटेल स्वयं अनुपम राजन जी से मिलकर निष्पक्ष सघन भौतिक जांच का अनुरोध किया था तो अनुपम राजन जी ने आश्वासन दिया था कि 22 दिसंबर के बाद कुछ करने का सोचेंगे अब 22 दिसंबर किस सन का है ये तो वो ही जानें पर एक बात साबित हो रही है कि यदि आप अकूत संपत्ति के धारक हैं तो आपका दायरा नियमों से परे हो जाता है , प्रत्यक्ष प्रमाण महर्षि महेश योगी वैदिक है विश्वविद्यालय प्रबंधन जो स्वयं लिख रहा है कि मध्यप्रदेश शासन के अधीन नहीं है एवं निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग मध्यप्रदेश से संबंधित भी नहीं है तथा उक्त कथनों को शासन द्वारा भी स्वीकार किया जा चुका है एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 की धारा 12 B के अनुसार केन्द्र से सहायता पाने हेतु उपयुक्त नहीं है तो फिर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश में संचालित कैसे हो रहा है इसकी उपाधियों की वैद्यता कैसे और किस नियम से मान्य हो रही हैं। यह एक गंभीर सघन जाँच का विषय है जिस पर ध्यान ही नहीं दिया जाना संदेह पैदा करता है । जो कि प्रत्यक्ष रूप से नियमों से खिलवाड़ एवं छात्रहित से खिलवाड़ प्रतीत होता है।

रिपोर्ट – पुलिसवाला ब्यूरो

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

क्या आपको भी बैंक अधिकारी का आया है कॉल?, “तो हो जाएं सावधान”

इंदौर मध्य प्रदेश वर्ष 2025 में बैंक अधिकारी बताकर ठगी करने वालों...

इंदौर पुलिस के साइबर जागरूकता के महाअभियान ने छुआ एक और शिखर।

इंदौर मध्य प्रदेश एडिशनल डीसीपी श्री राजेश दंडोतिया ने Delhi Public School...

महिलाओं के अधिकार और कानून को जानकारी होना अतिआवश्यक: महिला बाल विकास विभाग

इंदौर मध्य प्रदेश आज दिनांक को जिला कार्यक्रम अधिकारी रामनिवास बुधौलिया के...