न्यू जर्सी अमेरिका
👉 पति-पत्नी का सदैव एक-दूसरे के भावों-विचारों एवं स्वतन्त्र अस्तित्व का ध्यान रखकर व्यवहार करना “दाम्पत्य जीवन” की सफलता के लिए आवश्यक है। इसी के अभाव में आजकल “दाम्पत्य-जीवन” एक अशांति का केन्द्र बन गया है। पति की इच्छा न होते हुए, साथ ही आर्थिक स्थिति भी उपयुक्त न होने पर स्त्रियों को बड़े-बड़े मूल्य की साड़ियाँ, सौन्दर्य प्रसाधन, सिनेमा आदि की माँग पतियों के लिए असन्तोष का कारण बन जाती हैं। इसी तरह पति का स्वेच्छाचार भी “दाम्पत्य जीवन” की अशांति के लिए कम जिम्मेदार नहीं है। यही कारण है कि कोई घर ऐसा नहीं दीखता, जहाँ स्त्री-पुरुषों में आपस में नाराजगी असंतोष दिखाई न देता हो।
👉 पति-पत्नी का एक समान संबंध है, जिसमें न कोई छोटा न कोई बड़ा है। जीवन यात्रा के पथ पर पति-पत्नी परस्पर अभिन्न हृदय साथियों की तरह होते हैं। दोनों का अपने-अपने स्थान पर समान महत्त्व है। पुरुष जीवन क्षेत्र में पुरुषार्थ और श्रम के सहारे प्रगति का हल चलाता है तो नारी उसमें नवजीवन, नवचेतना, नव-सृजन के बीज वपन करती है। *पुरुष जीवन रथ का सारथी है तो नारी रथ की धुरी। पुरुष जीवन रथ में जूझता है तो नारी उसकी रसद व्यवस्था और साधन-सुविधाओं की सुरक्षा रखती है। किन्तु अज्ञान और अभिमानवश पुरुष नारी के इस सम्मान का पालन नहीं करता। “दाम्पत्य जीवन” में विषवृद्धि का एक कारण परस्पर असम्मान और आदर भावनाओं का अभाव भी है।
👉 गृहस्थ जीवन में जितने भी सुख हैं वे सब “दाम्पत्य जीवन” की सफलता में सन्निहित हैं। दाम्पत्य जीवन सुखी न हुआ तो अनेक तरह के वैभव होने पर भी मनुष्य सुखी, सन्तुष्ट तथा स्थिर चित्त न रह सकेगा। जिनके “दाम्पत्य जीवन” में किसी तरह का क्लेश, कटुता तथा संघर्ष नहीं होता वे लोग बल, उत्साह और साहसयुक्त बने रहते हैं। गरीबी में भी जीत का जीवन बिताने की दक्षता “दाम्पत्य जीवन” की सफलता पर निर्भर है, इसे प्राप्त किया ही जाना चाहिए।
👉 वैवाहिक जीवन की असमता में आर्थिक, सामाजिक और संस्कारजन्य कारण भी होते हैं, किन्तु मुख्यतः मनोवैज्ञानिक व्यवहार की कमी के कारण ही “दाम्पत्य जीवन” असफल होता है। वस्तुओं का अभाव-परेशानियाँ जरूर पैदा कर सकता है, किन्तु यदि पति-पत्नी में पूर्ण प्रेम हो तो गृहस्थ जीवन में स्वर्गतुल्य सुखोपभोग इसी धरती पर प्राप्त किये जा सकते हैं। दुःख का कारण अनास्था और त्रुटिपूर्ण व्यवहार ही होता है, इसे सुधार लें तो “दाम्पत्य जीवन”में सफलता का प्रतिशत कई गुना बढ़ सकता है।
रिपोर्ट- अनिल भंडारी
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