वाराणसी
उत्तर प्रदेश की सरकारी स्कूल….. जर्जर बिल्डिंग, टपकती छत और एक-एक कमरे में 100-100 बच्चे…। इन सरकारी स्कूलों को सुधारने की जिम्मेदारी हमारे सांसद -विधायकों की है। लेकिन इन पर कभी गंभीरता से काम नहीं हुआ। इसकी बड़ी वजह है.. नेताओं के अपने प्राइवेट स्कूल, खुद का प्राइवेट स्कूल खोलकर नेता उनके संचालन में ही मस्त हैं, ऐसे में सरकारी स्कूलों की दशा उनकी निगाहों से कैसे दिखेगी।
उत्तर प्रदेश में 74000 से ज्यादा प्राइवेट स्कूल हैं। इसमें 50000 स्कूलों के मालिक नेता हैं। इनमें लगभग सभी पार्टियों के नेता शामिल हैं। 20000 प्राइवेट इंटर कॉलेज और 7000 से ज्यादा प्राइवेट डिग्री कॉलेज भी हैं। यहां भी 60 परसेंट से ज्यादा नेताओं के ही हैं। इनमें ऐसे भी नेता है जिनके पास करीब 100 स्कूल कॉलेज हैं। 31 प्राइवेट यूनिवर्सिटी में पांच बीजेपी और तीन सपा नेताओं के हैं।
स्कूल कॉलेज खोलने के लिए करीब 17 तरह के सर्टिफिकेट जरूरी है। इसे नेताओं की हनक कहे या ऊपर तक सेटिंग, उनके स्कूल कॉलेज की फाइल कहीं नहीं अटकती।
बसपा के पूर्व सांसद प्रत्याशी शिव प्रसाद यादव के पास 100 से भी ज्यादा स्कूल कॉलेज हैं।
भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के पास 54 स्कूल कॉलेज है।
भाजपा के ही पूर्व विधायक जय चौबे के पास 50 से ज्यादा स्कूल कॉलेज हैं।
सपा के प्रदेश सचिव डॉ जितेंद्र यादव के पास 20 से ज्यादा स्कूल कॉलेज हैं।
भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष फतेहपुर अजय प्रताप सिंह के पास 18 से ज्यादा स्कूल कॉलेज हैं।
अपना दल के विधायक वाचस्पति के पास 15 से ज्यादा स्कूल कॉलेज हैं।
सपा के सांसद एसपी सिंह पटेल के पास आईपीएस ग्रुप 13 स्कूल कॉलेज है।
भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री संजय सिंह के पास १३ स्कूल कॉलेज हैं।
गाजीपुर के भाजपा नेता मनोज सिंह के पास 11 स्कूल कॉलेज हैं।
गोरखपुर के भाजपा के पूर्व एमएलसी संजयन त्रिपाठी के पास 10 से ज्यादा स्कूल कॉलेज हैं।
क्रमशः इसी प्रकार से अन्य नेताओं के पास भी खुद के निजी प्राइवेट स्कूल कॉलेज हैं,
सरकारी स्कूलों पर ध्यान देकर अपनी निधि से उनको और उन्नत बनाने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर हैं। वही लोग अपने खुद के प्राइवेट स्कूल कॉलेज खोलकर बैठे हुए हैं। ऐसे में उन माननीय लोगों से जनहित में सरकारी स्कूल कॉलेज की दशा के सुधार की अपेक्षा कैसे की जा सकती है।
प्रभुपाल चौहान
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