रायपुर
आपने देखा होगा की रायपुर शहर में ई-रिक्शा की जैसे बाड़ सी आ गई हो। क्या रायपुर शहर को इतने पैसेंजर ऑटो एवं ई-रिक्शा की जरूरत है। शायद इस मामले में सरकार का ग्राउंड वर्क भी जीरो ही है प्रशासन को खुद नहीं पता कि हमारे शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए कितने बहनों की आवश्यकता है। अचानक आई हुई ई-रिक्शा की बाढ़ ने शहर के यातायात सिस्टम को ध्वस्त सा कर दिया है। किसी को कोई काम समझ नहीं आता तो आज के दौर में ई-रिक्शा ले लिया और चलाना चालू कर लिया। एक दौर था जब एसटीडी पीसीओ का भी यही हाल था बेरोजगार नौजवानों को सिर्फ एक ही काम समझ में आता था एसटीडी पीसीओ खोलो, वहीं हाल आज के दौर में ई रिक्शा के मामले में जान पड़ता है। प्रशासन को इसके लिए कोई ठोस नीति बनानी चाहिए जिससे शहर का यातायात सिस्टम बना रहे और अन्य वाहनों को भी चलने के लिए रोड पर जगह मिले। ट्रैफिक सिग्नल पर भी इन ई रिक्शा के कारण बड़ी परेशानी आ रही है इनका पिकअप स्लो होने से जैसे ही ग्रीन लाइट होती है यह धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं जिससे पीछे का ट्रैफिक अन्य स्थितियों में 30 से 40% कम क्लियर हो पता है। अगर आज प्रशासन ने इस स्थिति पर गौर नहीं किया तो आने वाले समय में रायपुर शहर की यातायात व्यवस्था बिल्कुल ही चौपट हो जाएगी। प्रशासन को हर रूट पर एक निश्चित संख्या सीमित कर देनी चाहिए कि इससे ज्यादा ऑटो या ई रिक्शा वहां रूट पर नहीं चलेंगे और हर हाल में इसका सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए।
रायपुर से राजीव)
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