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आर्टिस्ट्री- ज्वैलरी सेक्टर को देगी नई पहचान । मालाबार समूह ने किया रायपुर में आर्टिस्ट्री शो।

छत्तीसगढ़
रायपुर

गोल्ड ज्वैलरी पहनना एक पारंपरिक रिवाज है। तीज त्यौहारों या फिर शादी अथवा अन्य शुभ समारोहों में महिलाएं आभूषणों में अक्सर देखी जाती हैं। आभूषण महिलाओं की खूबसूरती को तो बढ़ाता ही है साथ ही इन्वेस्टमेंट के लिए भी ये एक शानदार विकल्प है। भारत में आभूषण केवल व्यक्तित्व में चमक और आकर्षण जोड़ने का माध्यम नहीं है। वास्तव में, ये विशेष रूप से महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्व रखते हैं। शुभ शकुन को आमंत्रित करने के लिए शुभता के चिह्न के रूप में इन्हें प्रथागत रूप से पहना जाता है। ये विभिन्न धार्मिक विश्वासों को मजबूत करने और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी माने जाते हैं।

मालाबार समूह को आभूषण के क्षेत्र में किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है । यह समूह आभूषण कारोबार के मामले में दुनिया के प्रथम तीन सबसे बड़े आभूषण विक्रेताओं में से एक है।
सामान्य चीजों को असामान्य रूप से करना वो भी बिना किसी गलती के , मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।इसके संस्थापक एमपी अहमद ने 1979 में मसाला व्यापार उद्यम स्थापित करके 20 साल की उम्र में ही अपनी उद्यमशीलता की शुरुआत की थी। बहुत कम उम्र में एमपी अहमद ने दुर्लभ और कीमती व्यावसायिक पाठ आत्मसात कर लिए थे जिसके लिए कोई भी टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट अलग से क्लासरूम नहीं लगा सकता। हालांकि, वह केवल उसी पर नहीं रुकना चाहते थे। वे और कुछ बड़ा करना चाहते थे। अहमद ने मार्केट पर जमकर रिसर्च की और महसूस किया कि ज्वैलरी पर अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर के लोगों का कब्जा ज्यादा है। और, फिर क्या, उन्हें अपनी यात्रा शुरू करने का कारण मिल गया। अपने सभी साहस को बढ़ाते हुए, उन्होंने उद्योग में एक व्यवसाय स्थापित करने और अपने मूल स्थान मालाबार को बढ़ावा देने का फैसला किया। 1993 में सिंगल शॉप रिटेल आउटलेट के रूप में शामिल, मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स तेजी से पूरे भारत में फैले शोरूम के साथ आभूषण व्यवसाय में अग्रणी बन गया है, और अब अपने देश सहित संयुक्त अरब अमीरात, ओमान , कतर , कुवैत और सऊदी अरब यहाँ तक कि अमेरिका सहित कई देशों में इनके एक हज़ार से भी ज़्यादा आउटलेट्स हैं।
और आज इनका व्यवसाय लगभग 50000 करोड़ से भी ज़्यादा है।

इस समूह ने ग्राहकों की मांग के अनुरूप आभूषणों का निर्माण भी आरंभ किया है और इसके लिये अब वह देश विदेश में अपने आर्टिस्ट्री शो-रूम खोल रही है। इनमें ग्राहकों की चाही डिज़ाइन पर इनके आर्टिस्ट ज्वेलरी तैयार करेंगे।इसी संबंध में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पंडरी स्थित शो- रूम में अपनी वर्षगाँठ के अवसर पर विगत दिवस एक आर्टिस्ट्री शो आयोजित किया गया जिसमें इनके सैकड़ों ग्राहक परिवारों के सामने महिला माडल्स ने पारंपरिक वैवाहिक परिधानों में मालाबार ज्वैलरी का प्रदर्शन कर रैंपवाक किया। चकाचौंध कर देने वाली पारंपरिक और आर्टिस्टिक ज्वैलरी को देख लोग मंत्रमुग्ध हो गए।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ व मुख्य आतिथ्य मिसेज़ इंडिया व मिसेज़ एशिया 2015 पूर्णिमा खरे ने किया। उन्हीं ने इन शर्मीली महिलाओं को रैंपवाक सिखाकर अपने ही ब्यूटी स्टूडियो “ पूर्णिमाज” में मेकअप कर तैयार किया। और जब इन नईनवेली माडल्स ने अपने परिजनों सहित सैंकड़ों दर्शकों के बीच रैंप वाक् किया तो उनके चेहरों में ख़ुशी के साथ साथ उनका आत्मविश्वास भी झलक रहा था। मिसेज़ एशिया पूर्णिमा ने इस अवसर पर कहा कि ज्वैलरी पहनना लगभग हर लड़की को पसंद होता है। आभूषण कई रूपों में स्वयं प्रकट होते हैं। यह स्वर्ण, मनके या यहां तक कि हीरों से बने गहने हों जो आधुनिक या प्राचीन रूपों में हों, पर आभूषणों को अपना वर्ग मिला है और यह पहनने वाले व्यक्ति को एक बहुत ही अलग ग्लैमर जोड़ता है। यह विश्वास करना बहुत मुश्किल हो सकता है, लेकिन आभूषणों के इतिहास में एक जबरदस्त बदलाव आया है और प्राचीन आभूषणों के डिजाइन और नाजुक शिल्प कौशल आधुनिक आभूषणों में उपयोग किए गए डिजाइनों का आधार हैं। मालाबार समूह न सिर्फ़ ज्वैलरी की डिज़ाइन में बल्कि गुणवत्ता के लिये भी विश्वास का एक प्रतीक है।उन्होंने मालाबार समूह विशेषकर उनके समन्वय स्वाति एवं मोहसिन खान को उन्हें आतिथ्य प्रदान करने के लिये धन्यवाद व्यक्त करते हुए भविष्य में व्यवसाय में उन्नति के लिये शुभकामनाएँ दीं और माडल्स की तारीफ़ करते हुए उनके साथ ही उनकी हौसलाअफ़जाई के लिये रैंप वाक् भी किया।

पारंपरिक भारतीय आभूषणों का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि भारतीय इतिहास! आभूषण शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘जोकेल’ से हुई है जिसका अर्थ है खेलने की वस्तु । 5000-7000 साल पहले रामायण और महाभारत काल के दौरान आभूषण और खुद को सुशोभित करने की कला लोकप्रिय हुई थी।पश्चिमी मोरक्को के रेगिस्तान में एक गुफा में, पुरातत्वविदों ने दुनिया के सबसे पुराने गहनों की खोज की है।

डिजाइन अपने इतिहास के लिए जाना जाता है जो इंपीरियल युग में वापस डेटिंग करता है। हैदराबाद में स्थित खदानों के साथ भारत हीरों का खनन करने वाला पहला देश बन गया। दिलचस्प बात यह है कि हीरे आमतौर पर उपहार के रूप में दिए जाते हैं, क्योंकि वे प्रतिष्ठा और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं और अमरता के प्रतीक हैं।दिलचस्प बात यह भी है कि जैसे-जैसे यूरोपीय प्रभाव ने भारत पर कब्जा किया, आभूषण डिजाइन शैली में बदलने लगे। इसके अलावा, 19वीं और 20वीं शताब्दी में, कार्टियर, वैन क्लीप एंड अर्पेल्स, मेलरियो, चौमेट ज्वेल्स जैसे प्रसिद्ध ज्वेलरी हाउस ने भारतीय राजाओं और क्वींस के लिए डिजाइन करना शुरू किया। उनके डिजाइनों ने फ्रांस देश से प्रेरणा ली। यह डिजाइन का एक संलयन है जहां कार्टियर ने अपने डिजाइनों में फूलों के दक्षिण भारतीय रूपांकनों का उपयोग किया।और इन सब विदेशी ब्रांड्स के बीच मालाबार जैसे भारतीय ब्रांड की उपस्थिति, तरक़्क़ी और विश्वास भारतीय पंरपरा की भी वैश्विक पहचान बन रही है।
( राजीव खरे स्टेट ब्यूरो चीफ़ छत्तीसगढ़)

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