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अरुणाचल प्रदेश में 600 स्कूलों के बंद होने पर चिंता: शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करना आवश्यक
ईटानगर
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में लगभग 600 स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया है, जो मुख्य रूप से नामांकन की कमी या शून्य नामांकन के कारण है। राज्य सरकार, मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू के नेतृत्व में, शिक्षा क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता पर जोर दे रही है, लेकिन यह कदम गहरे सवाल खड़े करता है। यह निर्णय न केवल स्थानीय बच्चों की शिक्षा के अधिकार को प्रभावित कर सकता है, बल्कि दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में क्षेत्रीय असमानताओं को भी बढ़ा सकता है।
भारत में युवाओं की बड़ी आबादी है, और इसे ध्यान में रखते हुए, सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करना आवश्यक है। हालांकि उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (GER) में सुधार हुआ है, लेकिन प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में अभी भी महत्वपूर्ण अंतराल है। यह अंतर विशेष रूप से दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जाता है, जहां स्कूलों का बंद होना पहले से ही कमजोर शिक्षा प्रणाली को और कमजोर कर सकता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्र निर्माण में शिक्षा के महत्व पर बार-बार जोर दिया है। ऐसे में, सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक रणनीतियों का विकास करना चाहिए कि बंद किए गए स्कूलों के छात्रों के पास वैकल्पिक शैक्षिक अवसर हों। इसमें मौजूदा स्कूलों को मजबूत करना, शिक्षकों के प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना, और बुनियादी ढांचे में सुधार करना महत्वपूर्ण कदम हैं।
बंद किए गए स्कूलों के कारण छात्रों की शिक्षा में बाधा आ सकती है, जिससे लंबे समय में देश के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, इन स्कूलों के बंद होने से राज्य के शिक्षा क्षेत्र में निवेश की आवश्यकता और अधिक स्पष्ट हो जाती है। शिक्षा के लिए बेहतर सुविधाओं, योग्य शिक्षकों, और शिक्षण सामग्री तक पहुंच का विस्तार करने की आवश्यकता है।
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक बच्चा, चाहे वह किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में हो, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके और भारत के विकास में योगदान दे सके। इसके लिए सरकार को न केवल शिक्षा में सुधार की दिशा में काम करना होगा, बल्कि समाज के हर वर्ग तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करनी होगी। यह समय की मांग है कि शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ किया जाए, ताकि भारत के भविष्य का निर्माण मजबूत नींव पर हो सके।
( राजीव खरे )
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