बस्तर 21 जनवरी 2025
छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़, जो अब तक अपनी घने जंगलों और आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता था, अब धीरे-धीरे विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहा है। वर्षों तक ‘अबूझ’ माने जाने वाले इस क्षेत्र में अब सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है और सरकारी योजनाओं के जरिए यहां के निवासियों तक सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं। विकास के इस क्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी जा रही है।
पहले क्यों था अबूझ?
अबूझमाड़ का शाब्दिक अर्थ है “अज्ञात इलाका।” यह क्षेत्र बस्तर जिले के घने जंगलों में फैला हुआ है और यहां के दुर्गम इलाकों के कारण इसे लंबे समय तक नक्शे पर ठीक से दर्शाया नहीं जा सका। यहां की लगभग 70% भूमि आज भी सर्वे और रजिस्ट्रेशन से बाहर है। सालों तक यह इलाका सरकारी योजनाओं और विकास से दूर रहा, जिसके चलते यहां की आदिवासी जनजातियां अपने पारंपरिक तरीकों से जीवन यापन करती रहीं।
विकास की नई राह
अबूझमाड़ में सड़कों का निर्माण और आधारभूत सुविधाओं की स्थापना ने एक नई उम्मीद जगाई है। राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत अब यहां स्वास्थ्य केंद्र, मोबाइल नेटवर्क, स्कूल, और कृषि सुधारों पर ध्यान दिया जा रहा है। हाल ही में इलाके के दूरस्थ गांवों को जोड़ने के लिए सड़क निर्माण कार्य में तेजी लाई गई है। पहले चरण में अबूझमाड़ के ओरछा गांव से एक कच्ची सड़क बन रही है, जो महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से जुड़ेगी, और गढ़चिरौली से नागपुर जुड़ जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि सड़कों के बनने से अब वे अपनी उपज को बाजार तक आसानी से पहुंचा पा रहे हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार
आदिवासी बच्चों के लिए शिक्षा योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। दूर-दराज के गांवों में आवासीय स्कूल खोले गए हैं। साथ ही, स्वास्थ्य सेवाएं अब मोबाइल यूनिट्स के जरिए घर-घर तक पहुंचाई जा रही हैं। कुपोषण के खिलाफ चलाए गए अभियानों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं।
सुरक्षा और नक्सल समस्या का समाधान
अबूझमाड़ लंबे समय तक नक्सलवाद की समस्या से जूझता रहा। लेकिन हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों ने यहां शांति स्थापित करने में सफलता पाई है। सड़कों और विकास योजनाओं ने नक्सल प्रभाव को कमजोर किया है, जिससे स्थानीय लोग भी मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं।
पर्यटन की संभावनाएं
अबूझमाड़ के घने जंगल, अनछुए झरने, और प्राकृतिक सौंदर्य इसे पर्यटन का केंद्र बनाने की अपार संभावनाएं रखते हैं। सरकार द्वारा अब इस क्षेत्र को ‘इको-टूरिज्म’ के रूप में विकसित करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और क्षेत्र की संस्कृति को संरक्षित किया जा सकेगा।
चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं
हालांकि विकास कार्यों की गति तेज हुई है, लेकिन अबूझमाड़ में चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं। खराब मौसम, दुर्गम इलाका, और अवसंरचना की कमी अभी भी विकास कार्यों में बाधा डाल रही है। सरकार और प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और जनजातियों के अधिकारों का संरक्षण किया जाए।
निष्कर्ष
अबूझमाड़ अब केवल एक रहस्यमयी जंगल नहीं, बल्कि विकास की नई कहानी लिखने वाला इलाका बन रहा है। यहां की आदिवासी संस्कृति और संसाधनों को संरक्षित रखते हुए, अगर विकास योजनाओं को सतत और समावेशी बनाया जाए, तो यह इलाका छत्तीसगढ़ का एक आदर्श क्षेत्र बन सकता है।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ़ छत्तीसगढ़ )
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