बनखेड़ी नर्मदापुरम।
बनखेड़ी।स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों के योगदान व समर्पण को सामने लाने के लिये आज नगर के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल के सभागार में व्याख्यानमाला के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन बनखेड़ी जनजाति विकास समिति द्वारा किया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लवकुश मेहरा ने बताया कि जनजाति नायकों का भारत को आजादी दिलाने में मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक की लड़ाई में बहुत बड़ा विशेष योगदान रहा है परंतु हमारा दुर्भाग्य कि हमें पाठ्यक्रमों में जनजाति सेनानियों की वीरता के किस्से नहीं बताए गए। अभी हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रखा है बड़े आश्चर्य की बात है कि अभी तक हम लोगों को जानकारी ही नहीं थी कि राजा भूपाल की पत्नी रानी कमलापति थी जो कि भोपाल के राजा थे। जिन्हें अंग्रेजों द्वारा षडयंत्र पूर्वक मार दिया गया था। इसके पश्चात रानी कमलापति ने छोटे तालाब में आत्मदाह कर लिया था।
वही व्याख्यानमाला में उमरधा राज परिवार के सदस्य रणधीर सिंह जूदेव द्वारा बनखेड़ी के फतेहपुर स्टेट की पर प्रकाश डालते हुए बताया गया की जबलपुर की रानी दुर्गावती के राज्य में 52 गढ थे जिसमें फतेहपुर स्टेट 14 नंबर का गढ़ था।रानी दुर्गावती ने अपने जीवन काल में 52 लड़ाइयां लड़ी जिसमें 51 में विजय हासिल की थी 52 वी लड़ाई में वह वीरगति को प्राप्त हो गई। रानी लक्ष्मीबाई की वीरगति प्राप्त होने के बाद अंग्रेजों ने तात्या टोपे को सरकार से बागी घोषित कर दिया था और यह ऐलान किया था कि जो भी राज्य तत्या टोपे को शरण देगा उसे बागी समझा जाएगा जिस कारण तात्या टोपे को कहीं भी पनाह नहीं मिल रही थी लेकिन फतेहपुर स्टेट के राजा भभूत सिंह ने तात्या टोपे को शरण दी थी जिस कारण बनखेड़ी नगर के झंडा चौक मैं जो कोर्ट नाम से प्रसिद्ध है जिस पर राजा भभूत सिंह का अधिकार था अंग्रेजों ने उसे तात्या टोपे को शरण देने के कारण छीन लिया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रहलाद सिंह लोधी व विशिष्ट अतिथि शिवदयाल चौधरी रहे। मुख्य वक्ता महाकौशल प्रांत से सोहन सिंह एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता रणधीर सिंह जूदेव द्वारा की गई।
रिपोर्टः रवि देजवार।

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