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लड़कियों की आत्महत्या का कारण

इंदौर मध्य प्रदेश

 

मृत्यु एक अटल सच। मुद्दा है कि मृत्यु का एक तरीका आत्महत्या भी है। भारतीय संविधान में भाग 3 में अनुच्छेद 21 में प्राण एवम दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति एवम नागरिक को मौलिक अधिकार में मिला है। फिर भी जब व्यक्ति हताश ,परेशान या दुःखी होता है तो आत्महत्या करके मृत्यु का वरण करता है और अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेता है। अब बात आती है कि आत्महत्या क्या है?आत्महत्या अपने आप में एक मानसिक बीमारी है,,जो कि व्यक्तिगत न होकर सामाजिक होती है।कोई भी व्यक्ति जब आत्महत्या की तरफ जाता है तो उसके पीछे का कारण समाज या समाज में होने वाली घटनाएं होती हैं। और इसी क्रम में यदि लड़कियों की आत्महत्या की बात की जाए तो हमे शोध ये बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिला की आत्महत्या दर कम है।लेकिन फिर भी महिला/लड़की आत्महत्या क्यों करती है??? यदि इस प्रश्न का उत्तर उस लड़की, परिवार,समाज में ढूंढ़ा जाए तो समझ आता है कि आज भी समाज में अनजाने में सही लेकिन लड़का लड़की के बीच भेदभाव विद्यमान है। जीवन जीने,नौकरी करने,खाना खाने, मनपसंद के कोर्स का अध्ययन करने,व्यवसाय करने या विवाह करने में आज भी जितनी स्वतंत्रता लडको को है वो लड़कियों को नही है,,चाहे इसके पीछे कारण कुछ भी हो। तो ऐसी परिस्थितियों में लड़किया अपनी दिल की ख्वाइश सबको नही बता पाती और यदि बताती भी हैं ,तो कोई इनके आंसू और उनकी भावनाएं नही समझ पाते। और चूंकि आज भी समाज में यदि लड़की से कोई गलती होती है तो उसे सामान्य तरीके से स्वीकार नहीं किया जाता है ,जबकि इसी कृत्य में लडको को सामान्य रखा जाता है। तब यदि लड़की के मन के अंदर कोई बात है,तो वो खुलकर अपने परिवार,दोस्त या अन्य से साझा नही कर पाती है,और अंदर ही अंदर परेशान होने लगती है और जब अंदर से ज्यादा परेशान होती है तो स्वयं को समाप्त करने जैसे कदम उठाती है।क्योंकि उनके मन में ये भय होता है कि उनकी परेशानी में सहयोग तो मिलेगा नही बल्कि उन्हें गलत और साबित कर दिया जाएगा।इसलिए वो अपनी परेशानी की स्थिति में भी अकेले ही इस समस्या से निपटती रहती हैं और जब उनकी समस्या उनके नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो वो स्वयं को समाप्त करने अर्थात आत्महत्या की तरफ बढ़ती हैं।
हम सभी को इस ओर ध्यान देना चाहिए।जैसा कि समाजशास्त्री इमाइल दुर्खीम ने अपने शोध में बताया है कि आत्महत्या के चार प्रमुख प्रकार होते हीन,,जिसमे पहली प्रकार की आत्महत्या तब की जाती है जब मनुष्य को लगता है कि उसका भाग्य ही खराब है ,उसको कुछ भी नही मिलेगा। दूसरी प्रकार की आत्महत्या तब की जाती है जब कोई व्यक्ति दूसरो को खुशी देने के लिए अपने प्राणों का न्योछावर कर देता है। तीसरे प्रकार की आत्महत्या व्यक्ति तब करता है जब वो समाज परिवार में स्वयं को अकेला महसूस करने लगता है,उसे ऐसा महसूस होने लगता है कि परिवार या समाज में किसी को भी उसकी जरूरत नहीं है,वो सभी के लिए नगण्य है,तो वो अकेला पन का शिकार होता है और खुद को अवांछित महसूस करने लगता है। चौथे प्रकार की आत्महत्या व्यक्ति तब करता है जब किसी वर्ग विशेष या व्यक्ति विशेष के द्वारा उसके साथ इतना गलत किया जाए कि वो उसको बर्दाश्त नहीं कर पाए तो ऐसी स्थिति में भी को दुःख में आकर अपनी जिंदगी समाप्त कर लेता है।समाज में आपको बहुत से ऐसे प्रकरण मिल जायेंगे जिसमे ये देखने में आता है कि कोई बालिका इसलिए आत्महत्या कर रही है क्योंकि उसको कोई लड़का छेड़छाड़ करके परेशान कर रहा है,और उसमे उसकी कोई गलती नही है लेकिन समाज में उस लड़की की ही बदनामी हो रही है।लड़के को कोई कुछ नही कह रहा है।लड़की की पढ़ाई छुड़वा कर उसका विवाह करवाया जा रहा है। कोई महिला इसलिए आत्महत्या करती है क्योंकि ससुराल और पति उसको बहुत परेशान कर रहे हैं,लेकिन मायका उसको एक ही बात समझा रहा हुआ कि अब तुम्हारा घर वही है,उस प्रताड़ित महिला का कोई साथ नहीं दे रहा है केवल उसको समाज की तरफ से त्याग ,बलिदान ,सहनशीलता की समझाइश दी जा रही है। बेटी जन्म लेती है उसको जब तक जीती है तब तक केवल ताने दिए जाते हैं कि लड़की पैदा हुई है,इसको पढ़ाई लिखाई करवाओ फिर शादी में पैसा खर्च करो ,दहेज कान्हा से लायेंगे,ये सब बाते सुन सुन कर वो खुद को अवांछित महसूस करने लगती है।इसी प्रकार के और भी प्रकरण समाज में दिखाई देते हैं।
इस प्रकार आत्महत्या व्यक्तिगत कारक न होकर एक सामाजिक कारक है जिसमे कोई भी व्यक्ति या लड़की इसलिए आत्महत्या करती है कि उसको समाज से तिरिष्कार,अपमान, असंवेदनशीलता मिली है।
हमे एक सामाजिक प्राणी और एक सभ्य समाज के नागरिक होने के कारण इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यदि किसी भी व्यक्ति के साथ कोई समस्या है ,वो किसी मानसिक ट्रॉमा से गुजर रहा है तो उसके लिए उसको परिवार और समाज का सहयोग अत्यंत आवश्यक है,उसके मानसिक रूप से कभी अकेला न छोड़े,उसे भरोसे में ले कि उसकी हर परिस्थिति में आप उसके साथ हैं।तो वो वापस से अपनी जिंदगी में सामान्य रूप से जीवन व्यतीत कर पाएगा।
डॉ वंचना सिंह परिहार
प्रशासक ,
वन स्टॉप सेंटर (सखी)
महिला बाल विकास विभाग जिला इंदौर रिपोर्ट अनिल भंडारी

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