मुसलमान रिएक्ट करेगा उनका मकसद पूरा होगा…!
देश भर में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बहस जारी है जहां उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने सबसे पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला पहला राज्य होने की बात कही हैं!
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी साफ़ कह दिया है कि एक देश मे दो कानून नही चलेंगे और यूसीसी जल्द पूरे देश में लागू किया जाएगा,
हालांकि ये कानून अगर लागू होता है तो समस्त देशवासियों पर एक साथ लागू होगा न कि सिर्फ़ मुसलमानों पर,
मगर देश भर के मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम धर्मगुरु इस कानून पर बढ़चढ़ कर बयानबाज़ी कर रहे हैं और मालूम होता है कि जैसे ये कानून सभी लोगो पर नही सिर्फ़ मुसलमानों पर ही लागू होने जा रहा है,
एक बात तो तकरीबन तय हो चुकी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा एकतरफ़ा जीत के साथ तो बहुमत शायद हासिल नही कर पाएगी,
विपक्ष एक होकर भाजपा से मुकाबले की बात कर रहा है और अगर ऐसा होता है तो भाजपा के लिए बहुमत के साथ विजय हासिल कर पाना इतना आसान तो कतई नही होगा,
इसलिए ही जहां भाजपा जनवरी 2024 में राम मंदिर को तैयार कर आम हिन्दू मतदाता को मज़हबी आधार पर वोट करने की तैयारी कर रही है वहीं भाजपा और सरकार ने मुसलमानों के सामने यूसीसी का चारा फेंक दिया है,
और मुसलमान इस चारे की मुखालिफत में फंसकर जाल के ऊपर बैठ रहा है,
मुसलमान जितना ज्यादा यूसीसी पर रिएक्ट करेगा उतना ही ज़्यादा भाजपा को चुनाव में फ़ायदा होने वाला है,
जहां एक तरफ देबन्द से जमीयत उलेमा ए हिन्द ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कठोर रवैया अख्तियार किया है वहीं दूसरी तरफ़ बरेलवी हज़रात भी यूसीसी पर विरोधी बयान देकर भाजपा की राह हमवार करते नज़र आ रहे हैं,
मुसलमान उलेमा और सियासी नेता आखिर ये कियूं समझने को तैयार नही की ये कानून सिर्फ इस्लामी कानूनों पर ही नही बल्कि हिंदुओ के धार्मिक मामलों,सिखों और ईसाईयों के धार्मिक मामलों और मज़हबी आज़ादी पर वार करेगा,
आदिवासियों के निजी मामलों और मान्यताओं पर भी उतना ही असर करेगा और इसका जीता जागता सबूत ये है कि मेघालय में भाजपा समर्थित सरकार के मुख्यमंत्री ने खुलकर यूसीसी की मुख़ालिफ़त की है और इस कानून को खुलेआम गलत बताकर अपनी तरफ से शुरुआत कर दी है,
वहीं पंजाब से अकाली दल ने भी साफ कह दिया है कि सिख एक अलग पंथ है और उसपर यूसीसी लागू नही किया जा सकता,
देश भर के अलग अलग राज्यो में अलग अलग सभ्यताओं के मिश्रण है सबकी खाने और पहनने की पसन्द अलग है तो ऐतराज़ तो हर हाल में सबको ही होना है फिर आख़िर बलि का बकरा बनने के लिए मुसलमान ही कियूं बढ़चढ़कर सामने आ रहा है,
सबसे बड़ी बात तो ये है कि अभी तक यूसीसी का पूरा मसौदा तक सामने नही आया है जिससे ये अंदाज़ा लगाया जा सके कि इसमें सही किया है और गलत किया है,
हाँ” उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी के जो पॉइंट्स सामने रखे हैं उसमें सिर्फ़ एक मुद्दा इद्दत का ऐसा नज़र आता है जिसपर मुसलमानों को ऐतराज़ हो सकता है और वो होना भी चाहिए कियूंकि उसमे न तो किसी महिला का कोई कानूनी हक़ खत्म होता और न ही किसी ऐसी मुस्लिम महिला को एतराज़ हो सकता जिसका शौहर मर चुका हो,और फिर भी अगर किसी मुस्लिम महिला को इद्दत करने ने परेशानी है या वो दिल से अपनी इद्दत नही करना चाहती तो उसका मामला वो खुद जाने मज़हब से तो उसपर कोई सख्ती नही ही की जा सकती,
मुसलमान आखिर ये कियूं नही समझना चाहता कि देश भर में ऐसे कितने राज्य हैं जहां पर कानूनन गौमांस खाया जाता है और ऐसे राज्यो में भाजपा शासित प्रदेश भी शामिल है तो ऐतराज़ तो वो भी करेंगे,
सिखों के धार्मिक रीति रिवाजों पर अगर यूसीसी कोई अतिक्रमण करता है तो सिख भी किसी हाल में यूसीसी को स्वीकार नही करेंगे,
ईसाइयों के धार्मिक रीति रिवाज भी इस कानून के बाद अछूते नही रहेंगे और वो भी यूसीसी को स्वीकारने की हालत में कतई नही होंगे,
देश भर में आदिवासी और उनकी जनजातियों में अलग धार्मिक रसूमात है और वो किसी भी कीमत पर उनमें किसी का दखल बिल्कुल भी पसन्द नही करते तो जाहिर बात है ऐतराज़ उनको भी होना है और ऐसी सूरत में यूनिफॉर्म सिविल कोड को सरकार अपने मक़सद के लिए इस्तेमाल हरगिज़ नही कर पायेगी,
ये कानून भाजपा और भाजपा नीत केंद्र और प्रदेशों की सरकारों के लिए गले की फांस बनने वाला साबित हो सकता है मगर उसके लिए पहली शर्त यही है कि मुसलमान इसपर खुलकर रिएक्ट न करे बल्कि पहले इत्मीनान से मामले को अच्छी तरह से देखे और समझे,..!
भाजपा और केंद्र सरकार को भी ये हकीकत अच्छे से मालूम है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को एक साथ देश भर में लागू करना उनके लिए इतना आसान हरगिज नही होगा जितना उन्होंने इसे समझ रखा है,
इसका विरोध हर धर्म हर सभ्यता को मानने वाला ज़रूर करेगा और इस विरोध को दरकिनार करना उसके लिए इतना आसान हरगिज न होगा,
और शायद इसलिए ही उन्होंने इसको आसानी से लागू कराने के लिए मुसलमानों के सामने जाल बिछा दिया है और जाल के नीचे विरोध के दाने बिखेर दिए हैं,
अब मुसलमान की आदत तो ठहरी कि भाजपा और भाजपा की सरकार के हर काम का विरोध करना है और भाजपा आसानी से इस विरोध का फायदा उठा लेती है,
भाजपा और आरएसएस के बाकी तमाम संगठन मुसलमानों के विरोध का देश भर में प्रचार करेंगे और आसानी से अपने मतदाता तक ये बात पहुंचाने में कामयाब हो जाएंगे कि भारत का मुसलमान देश की तरक़्क़ी से चिडता है और हर अच्छे काम की मुखालिफत करता है और अगर ऐसा होता है तो आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि 2024 का चुनाव जो भाजपा के लिए कांटो भरा रास्ता साबित हो सकता है वहीं उसके लिए ऐसी सूरत में फूलों की राहें और मालाएं साबित हो जाएंगी,
भाजपा और आरएसएस चाहती है कि मुसलमान उनके किये हर काम पर रिएक्ट करे मुखालिफत करे जिससे वो अपने कट्टर धार्मिक मतदाता के जहन को एकतरफ़ा कर सके और अफसोस ये है कि मुस्लिम नेता और धार्मिक उलेमा उनकी इस रणनीति को कामयाब करने में सहायक साबित होते हैं,
देश भर के मुसलमानों को चाहिए कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बेवजह की बयानबाज़ी को बंद करें!
इसके मसौदे को पूरी तरह से सामने आने दें और उसपर कानूनी और सामाजिक रूप से गौर करें,
इस कानून में जो अच्छी चीज़े हैं उनको मानने में कोई भी बुराई नही है उनको माना भी जाना चाहिए और मसौदे में जो गलत चीज़े और मज़हबी एतबार से मानने लायक हरगिज़ नही हैं उनपर कानूनी तौर पर किया करा जा सकता है इसपर तवज्जो दें!
लेकिन सिर्फ विरोध के लिए विरोध करेंगे तो फिर यकीन रखें कि आपका विरोध ही भाजपा और आरएसएस की सबसे बड़ी ताक़त बन जायेगा और वो आसानी से वो सब कुछ हासिल कर लेंगे जो वो चाहते हैं,
मुसलमानों एक बात अच्छे से समझ लो कि आपको उकसाया जा रहा है और अगर आप उकसावे ने आ गए तो ये बात तय समझ लेना कि आपके गलत रिएक्शन के बाद वोटों का वो धुव्रीकरण होगा जिसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव एकतरफ़ा हो जाएगा और आरएसएस व भाजपा अपने मकसद में आसानी से कामयाब हो जाएगी,
और अगर मुसलमान ने अक़ल और समझदारी से काम लिया तो यक़ीन मानो इनके तमाम दांव पेंच कर्नाटक की तरह ख़ाक में मिल जाएंगे,
अब चुनावी बिसात बिछ चुकी है आपको उकसाकर खेल को एकतरफ़ा किये जाने की साजिश है यूसीसी,
*अगर समझदारी का परिचय दोगे तो पूरी बिसात बिखरी हुई नजर आएगी वरना एक बात अच्छे से याद रखना की 2024 में भी इनको आसानी से फ़तह मिल जाएगी और आपके पास पछताने के 5 साल के अलावा कुछ बाकी न होगा पुलिसवाला न्यूज़ के लिए आगरा प्रदीप दुबे
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