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मालवा की धरा पर अनूठा और अनोखा दीक्षा महोत्सव इंदौर के महावीर बाग में

इंदौर मध्य प्रदेश उपकारी यति परंपरा में हो रही दीक्षाएं संघ के लिए मंगलकारी सिद्ध होगी – जैनाचार्य श्रीपूज्य जी श्रीजिनचन्द्र सूरिजी महाराज साहब
देश, धर्म, संस्कृति, संस्कार, सभ्यता को संरक्षित रखने के लिए जिस परंपरा ने अपना सर्वस्व अर्पण किया। अपनी साधना के रास्ते पर चलते हुए भी जन जन के मंगल कल्याण के लिए सेवा योगदान के हर संभव कदम सदैव तत्परता से उठाएं। समय जब आक्रांताओं के आक्रमण का रहा हो या धर्म, तीर्थ स्थलों पर देश के भीतर अपनों के आक्रमण का या स्वतंत्रता संग्राम का यति यतिनियों ने अपने साधना बल से जो अद्भुत काम किये, उनकी गाथाएं स्थान स्थान पर स्थित यतियों श्रीपूज्यो की गद्दी के पास आज भी सुनने को मिलती हैं।
ऐसी गौरवशाली परंपरा का दैदीप्यमान रहना संघ के लिए मंगलकारी है। महावीर बाग में यति यतिनीयो दीक्षा महोत्सव निमित्त ऐतिहासिक दिव्य भव्य वर्षीदान वरघोड़े के पश्चात विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैनाचार्य श्रीपूज्य जी श्रीजिनचन्द्र सूरिजी महाराज साहब ने फरमाया कि मालवा की धन्य धरा पर यह अनूठा और अनोखा दीक्षा महोत्सव है, उज्जैन, इन्दौर महिदपुर में सम्मिलित रूप से इसके आयोजन से समूचे देश के संघ जन इससे जुड़ गये हैं। यतिवर्य अमृत सुंदर जी ने संसार जीत लेने और चक्रवर्ती सम्राट हो जाने वाला भी वास्तविक सुख शांति और आत्म आनंद रुपी स्व समृद्धि से वंचित हो सकता है क्योंकि वह भी भीतर आसक्ति के अहंकार के जटिल रोग से पीड़ित हैं। जबकि एक अनासक्त, निर्लिप्त संत के पास भीतर की जो परमात्म समृद्धि का वैभव है उसकी तुलना किसी चक्रवर्ती सम्राट से भी नहीं हो सकती।
सत्य साधना ध्यान का रास्ता, संयम का रास्ता अनासक्त निर्विकारता, निर्लिप्तता की ओर निरंतर प्रगति का रास्ता है। और इस दिशा में अग्रसर होने वाले दीक्षार्थियों का आज वर्षीदान दिवस है इस दान में द्रव्य तो प्रतीकात्मक है भाव तो यही है कि जो संसार भाव जो मोह, ममत्व अब तक बना हुआ था वह सब इस संसार का तो संसार को लौटा ही रहे हैं साथ ही वीतराग प्रभु के प्रति जैसा समर्पण दीक्षार्थीयो के भीतर जागा है वैसा संसार के हर मनुज के भीतर जागे ऐसी मंगल भावनाएं बरसाते वर्षीदान वरघोड़ा हर्षोल्लास से सम्पन्न होता है।
मुमुक्षुणी अंजलि जी राखेचा ने काव्यात्मक पंक्तियों से भावपूर्ण उद्बोधन दिया। जिसमें अध्यात्म की प्रेरणा तो होती ही है वह हर पीढ़ी को समसामयिक विषयों के माध्यम से भीतर की ओर जोड़ने में सफल भी रहती है। वहीं युवा मुमुक्षु विकास जी चोपड़ा सीधी सरल भाषा में चर्चा करते हुए श्रोताओं के हृदय को स्पर्श करते हैं।
धर्म सभा से पहले महावीर भवन राजवाड़ा से भव्य एवं दिव्य वरघोडा प्रारंभ हुआ जिसमें शहर भर के अनेकों महिला मंडल में ध्वज धारी, कलश धारी, संदेश प्रसारक, दीक्षा विशेष सामग्री कला सृजन आदि रुप में सुसज्जित रहे।
रिपोर्ट अनिल भंडारी

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