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मंडला के जंगलों में हरे-भरे सागौन के पेड़ों की कटाई जारी, वन विभाग की लापरवाही उजागर

मंडला, 17 जनवरी 2025:

मंडला जिले के मंडला पश्चिम सामान्य वन मंडल के बकौरी और खारी निवास रोड के बीच के जंगलों में सागौन के 12 हरे-भरे पेड़ों की बेरहमी से कटाई का मामला सामने आया है। यह घटना वन विभाग की लापरवाही और जंगलों की सुरक्षा में गंभीर चूक को उजागर करती है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इन जंगलों में कीमती इमारती लकड़ी के लिए पेड़ों की अवैध कटाई बड़े पैमाने पर हो रही है, जबकि वन विभाग का अमला कुंभकरणी नींद में सो रहा है।

जंगल माफिया सक्रिय, वन विभाग नाकाम:
इस इलाके में बड़े पैमाने पर हो रही जंगल की कटाई से यह स्पष्ट होता है कि जंगल माफियाओं ने वन विभाग की निष्क्रियता का पूरा लाभ उठाया है। बकौरी-खारी निवास रोड पर सागौन के पेड़ों की कटाई यह दर्शाती है कि जंगलों की देखभाल करने वाले अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में असफल हो रहे हैं।


स्थानीय लोगों ने बताया कि वन विभाग की गश्त पूरी तरह से नदारद है, जिसके चलते माफिया बिना किसी डर के हरे-भरे कीमती पेड़ों को काटकर मंहगे दामों पर बेच रहे हैं।

प्राकृतिक संपदा का हो रहा विनाश:
मध्यप्रदेश सरकार और प्रशासन जहां वृक्षारोपण और जंगलों के संरक्षण के लिए लाखों रुपये खर्च कर रही है, वहीं वन विभाग की उदासीनता के कारण मंडला के जंगल लगातार उजड़ रहे हैं। बकौरी और खारी के बीच की घटना यह दर्शाती है कि जब वन विभाग मुख्यालय के नजदीक के जंगल सुरक्षित नहीं हैं, तो दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के जंगलों का क्या हाल होगा।

आरोप और प्रशासन की उदासीनता:

स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में तैनात वन विभाग के अधिकारी समय पर गश्त नहीं कर रहे हैं।

वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते जंगल माफिया बिना किसी डर के कीमती लकड़ियां काट रहे हैं।

जंगल के पेड़ों की कटाई से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि जंगलों पर निर्भर वन्यजीवों का भी जीवन संकट में है।

सरकार और प्रशासन से सवाल:

1. वन विभाग की गश्त और सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?

2. हरे-भरे सागौन के पेड़ों की कटाई की जानकारी स्थानीय प्रशासन और उच्च अधिकारियों को क्यों नहीं दी गई?

3. क्या जंगलों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अमले को उनके कर्तव्यों का निर्वहन न करने पर जवाबदेह ठहराया जाएगा?

 

जनता की मांग:

जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

जंगल माफियाओं की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

जंगलों की सुरक्षा के लिए विशेष टीम गठित की जाए और गश्त को नियमित किया जाए।

निष्कर्ष:
मंडला के जंगलों में सागौन के पेड़ों की कटाई केवल पर्यावरणीय क्षति नहीं है, बल्कि यह वन विभाग की नाकामी और भ्रष्टाचार का प्रतीक है। इस घटना ने जंगलों की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस गंभीर समस्या का समाधान करने के लिए क्या कदम उठाता है।

मंडला से अशोक मिश्रा की रिपोर्ट

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