छतरपुर
छतरपुर -हनुमान टोरिया पर चल रही रामकथा के छठवें दिन की कथा की जानकारी देते हुए हनुमान टोरिया परिवार के सदस्य श्रीकांत मिश्रा एवं राघवेंद्र ताम्रकार ने बताया कि श्री रामह्दय दास जी महाराज ने राम सीता विवाह के उपरांत भगवान परशुराम के आगमन, जनकपुरी में राम बारात के स्वागत का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया। महाराज जी ने कहा कि विशुद्ध मन ही मुक्ति का कारण बनता है। हमारे भगवान राम कमल के समान है, कमल कीचड़ में पैदा होता है किंतु कीचड़ का कोई भी विकार कमल पर व्याप्त नहीं होता, उसी प्रकार संसार का कोई भी विकार हमारे राम जी पर व्याप्त नहीं होता है। बाबा तुलसी कहते हैं राम जी उदयांचल के सूर्य है, जबकि परशुराम जी अस्तांचल के सूर्य है। परशुराम जी जिसकी तरफ देखते हैं उसको भय होता है कि उसकी मौत आने वाली है जबकि हमारे राम जिसकी तक देखते हैं उसको लगता है कि उसे जिंदगी मिल गई है। राम के पुरुषार्थ, व्यक्तित्व, और ऐश्वर्य के सामने शिव धनुष भी कुछ नहीं है। राम जी के सामने किसी की भी माया नहीं चलती है। प्रेम हमेशा त्याग में होता है, संग्रह में नहीं। अवधपुरी में सीता जी का स्वागत कौशल्या मैया ने आरती उतारकर किया। अवधपुरी मे उत्सव मनाया गया। इसके पश्चात महाराज जी ने भगवान के वनवास का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान को किसी ने वनवास नहीं दिया उन्होंने स्वयं वनवास स्वीकार किया है। निषादराज ने श्रृंवेगपुर में राम जी का स्वागत किया। दुनिया मेरे राम एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो आपके आंसुओं पर अपने आंसू भी बहाते हैं। गंगा पार करने के लिए केवट ने श्री राम जी के पैर पखारे और गंगा पार कराई। चित्रकूट में राम जी के पहुंचने के साथ ही रामकथा का विराम हुआ। हनुमान टोरिया रावतन ट्रस्ट, हनुमान टोरिया परिवार एवं शिष्यमण्डल ने सभी नगरवासियों से रामकथा में शामिल होकर पुण्य लाभ प्राप्त करने का आग्रह किया है।
ज़िला ब्यूरो
केतन अवस्थी।
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