राजस्थान धौलपुर
22 अप्रैल 2023 को खोज यात्रा पृथ्वी दिवस के अवसर पर जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में सैरनी नदी के उद्गम स्थल कोरीपुरा के कांजरी तालाब से पदयात्रा शुरू करके, पार्वती बांध होते हुए कदम ताल, धौलपुर पहुंची।
इस क्षेत्र को तरुण भारत संघ ने सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन कार्य से हरा- भरा बनाने का काम किया है। यहाँ पृथ्वी दिवस के अवसर पर जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने उपस्थित सभी लोगों को तीन संकल्प दिलाए- पहला कि, पृथ्वी को बचाएंगे, दूसरा धरती- नदियों को पुनर्जीवित करने का काम करेंगे और तीसरा, धरती के घावों को पानी से भरेंगे।
उन्होंने बताया कि, सैरनी नदी का जलागम क्षेत्र करौली और धौलपुर जिला में फैला है। यह नदी मासलपुर, कोरीपुरा, सकलूपुरा, महाराजपुरा, भूढ़खेडा, दाउदपुरा, अरोदा अन्य गांवों में होते हुए आंगई बांध में मिल जाती है। सैरनी नदी सात जल धाराओं से मिलकर बनी है, इन सात जल धाराओं पर तरुण भारत संघ ने जल संरचनाएं बनाकर, पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया था। जब धीरे-धीरे नदी पुनर्जीवन का काम शुरू हुआ , तो नदी की सभ्यता और संस्कृति भी पुनः जीवित होने लगी। यह काम इस क्षेत्र में सवाई माधोपुर की बामनवास तहसील में आज से 38 साल पहले शुरू कर दिया था।
उन्होंने आगे कहा कि, *जब यह नदी सूख गई थी, तो यहां की सभ्यता भी विलुप्त होने लगी और समाज भी बेपानी होकर,हिंसा के काम करने लग गया था। सैरनी नदी पहले सिर्फ बरसाती नदी थी,जिस कारण लोग उजड़कर शहरों की तरफ पलायन कर गए थे, लोग डकैती – चोरी करने लगे थे। फिर यहां के लोगों ने बहुत हिम्मत, मेहनत करके सैरनी नदी को पुनर्जीवित करना शुरू किया। जब तक यहां के लोगों की आंखों में प्यार का पानी आता, तब तक वहां के लोग नदी को पुनर्जीवित नहीं कर सकते। इसे पुनर्जीवित होने के लिए, सबसे पहले समाज को पुनर्जीवित होना पड़ता है। इसलिए काम में समय जरूर लगा, लेकिन आज से 5 साल पहले इस काम में बहुत तेजी आयी। इस काम को तरुण भारत संघ की तरुण टीम ने तभासं के निदेशक मौलिक सिसोदिया के नेतृत्व में चमन सिंह, रणवीर सिंह, छाजूराम आदि ने इसे पुनर्जीवित करने का ठान लिया था। इनके संकल्प से नदी को पुनर्जीवित करने हेतु साधनों की उपलब्धता हुई। साधन आने से साधना करने वाले कार्यकर्ता भी जुटने लगे। जिससे इस नदी को पुनर्जीवित करने में सिद्धि प्राप्त हुई है।
( राजस्थान ब्यूरो)


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