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परमात्मा के दर्शन, भक्ति, प्रार्थना और विश्वास से सभी मनोरथ पूर्ण होते है मुनिराज श्री ऋषभरत्न विजय जी म.सा.

इंदौर मध्य

इंदौर मध्य प्रदेश आज श्री तिलकेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर के उपाश्रय हाल में मंगल मूर्ति विधान उल्लास से संपन्न हुआ। मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने बताया कि हजारों वर्ष पूर्व मथुरा नगरी में घर-घर होते अमंगल के प्रभाव को समाप्त करने के लिये श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की मंगल मूर्ति लगाने का विधान हुआ था ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।
इस अवसर पर मुनिराज ने अपने संक्षिप्त प्रवचन में कहा परमात्मा के दर्शन, स्पर्श एवं साधना करने में मन एवं आत्मा से प्रार्थना बाहर निकलती है और दरिद्रता चली जाती है। सारे पापों का समापन और पुण्य का आगमन होता है। परमात्मा की शरण में पहुँचने से आठों दुष्ट कर्म नष्ट हो जाते हैं । प्रभु की स्तुति में इतना आनंद उत्पन्न होता है कि वह हृदय में नहीं समाता है और आनंद अनुभव करने वाले के सारे दोष समाप्त हो जाते हैं। बहुत से लोगों में यह अविश्वास है कि परमात्मा तो मोक्ष सिधार गये हैं तो हमारी सहायता कौन करेगा। परंतु ऐसा अविश्वास नहीं किया जाता है क्योंकि जैसे अग्नि का स्वभाव है ठंड को दूर करना, कल्पवृक्ष का स्वभाव है हमारी इच्छा पूर्ति करना, चिंतामणी रत्न का स्वभाव है चिंता दूर करना ठीक इसी तरह परमात्मा का स्वभाव है सबकी इच्छा पूर्ति करना और यह कार्य उनके अधिष्ठायक देव करते हैं। इसलिये प्रभु की भक्ति एवं प्रार्थना सतत करें एवं उनपर अपना अटूट विश्वास बनाए रखें।
उन्होंने बताया इंदौर के इतिहास में शायद यह पहली बार हो रहा है कि एक मुनिवर के 36 उपवास हुए, एक साध्वी जी के आज 37 वाँ उपवास है आगे और बड़ने की उम्मीद है। उग्र श्रीसिद्धि तप एवं बीस विहरमान पूर्ण हो गया है एवं आज से अठठम का तप प्रारंभ हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे तिलकनगर श्रीसंघ सभी तरह से तिलक लगवाने को तैयार है।
मंगल मूर्ति विधान सौ से ज्यादा जोड़ों ने संपन्न किया। इस विधान को नागेश्वर भाई ने बहुत ही भावपूर्ण एवं सुंदर तरीके से करवाया।
इस अवसर पर पुरुष, महिलायेँ एवं बच्चे उपस्थित थे। दिलीप भाई शाह,समिति अध्यक्ष ने भावी कार्यक्रमों की जानकारी दी की सभी तपस्वियों के बहुमान एवं अनुमोदना का कार्यक्रम कल 21 अगस्त को प्रवचन में होगा जिसके लाभार्थी आजीवन तपस्वी मोहनबेन, मुकेश, मनोज पोरवाल बने। 22 अगस्त को श्री सिद्धि तप के तपस्वियों का विशाल वरघोड़ा निकलेगा।
मुनिवर का नीति वाक्य-
“जिसने किया प्रभु पर विश्वास, उसकी नाव हो गयी पार है“

 

 

 

रिपोर्ट अनिल भंडारी

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