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जैजैपुर विधानसभा सीट में बसपा का विजय रथ रोकने की कगार पर भाजपा – मोहन कुमारी तोड़ सकती हैं बसपा का तिलिस्म ।

 

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की जैजैपुर विधानसभा सीट जांजगीर संसदीय क्षेत्र में आती है । यहाँ सांसद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं पर इस विधानसभा सीट पर पिछले 2 चुनावों से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का क़ब्ज़ा है। जांजगीर और सक्ति जिले के बीच करीब 30 किलोमीटर तक फैली हुई जैजैपुर विधानसभा सीट, यहां आज भी ज्यादातर लोगों के मुख्य आय का स्त्रोत कृषि ही है। हर तरह की आबादी को अपने में समेटे जैजैपुर में समस्याएं शिकायतें अलग-अलग है।
यहां के सियासी समीकरण से रूबरू होने से पहले यहां के सियासी इतिहास को समझ लेते हैं। आज भी यहाँ मूलभूत सुविधाओं की कमी है। सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में आज भी पिछड़ा है जैजैपुर।

पर इस बार यक्ष प्रश्न यह है कि क्या बसपा यहाँ हैट्रिक लगा पाएगी । इसके लिये इस सीट के मतदाताओं का समीकरण समझना होगा।
जैजैपुर विधानसभा सीट में कुल वोटरों की संख्या लगभग 2 लाख 40 हजार है, जिसमे पुरुष वोटर 1 लाख 22 हजार और महिला वोटर 1 लाख 18 हैं। पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक महिला वोटर इसी विधानसभा में हैं।यदि जातिगत समीकरण की बात करें तो हालाँकि सबसे ज़्यादा वोटर लगभग 50% पिछड़ा वर्ग से हैं जबकि लगभग 30% वोटर एससी वर्ग से हैं। पिछड़ा वर्ग के वोटरों की संख्या ज़्यादा होने के बाद भी यहाँ एससी वर्ग के वोटरों के बहुत ज़्यादा वोट एक पक्ष में गिरने से चुनाव में जीत हार तय होती है।

 

 

जैजैपुर विधानसभा सीट दलित समर्थकों के नजरिये से बहुत महत्वपूर्ण है ।इस विधानसभा सीट पर पिछले 10 साल से बसपा का कब्जा है। इसीलिए इसको बसपा का गढ़ भी माना जाने लगा है। इस विधानसभा क्षेत्र के एससी वोटर अमूमन बसपा के लिये समर्पित हैं, जिसका लाभ बसपा प्रत्याशी को हर चुनाव में मिला है ।

पर इस बार यक्ष प्रश्न यह है कि क्या बसपा यहाँ हैट्रिक लगा पाएगी । इसके लिये इस सीट के मतदाताओं का समीकरण समझना होगा।
जैजैपुर विधानसभा सीट में कुल वोटरों की संख्या लगभग 2 लाख 40 हजार है, जिसमे पुरुष वोटर 1 लाख 22 हजार और महिला वोटर 1 लाख 18 हैं। पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक महिला वोटर इसी विधानसभा में हैं।यदि जातिगत समीकरण की बात करें तो हालाँकि सबसे ज़्यादा वोटर लगभग 50% पिछड़ा वर्ग से हैं जबकि लगभग 30% वोटर एससी वर्ग से हैं। पिछड़ा वर्ग के वोटरों की संख्या ज़्यादा होने के बाद भी यहाँ एससी वर्ग के वोटरों के बहुत ज़्यादा वोट एक पक्ष में गिरने से चुनाव में जीत हार तय होती है।

पिछले दो चुनावों के विजयी बसपा विधायक केशव चंद्रा को उनकी सक्रियता एवं सहज और सरल स्वभाव के कारण सभी वर्गों का समर्थन मिलता रहा है ।इस बार फिर से उन्हें ही इस सीट पर बसपा ने उम्मीदवार बनाया है।पर इस बार उनके सामने कई चुनौतियाँ हैं। जिनमें बैराज व एनीकट प्रभावितों को जमीन का मुआवजा नहीं मिलना और काम के अभाव में दर्जनभर से अधिक गांवों के लोगों का पलायन बड़ी समस्या है।एक बड़ा मुद्दा मालखरौदा सड़क को लेकर ग्रामीणों की नाराज़गी का भी है। नियम विरुद्ध खदानों व क्रशर को ज़मीन आवंटन, पेयजल की समस्या और चिकित्सा सुविधाओं की कमी से भी लोग नाराज़ हैं।

विधानसभा चुनाव में बस कुछ ही समय बचा है, लेकिन राजनीतिक दलों से जुड़े तमाम दावेदारों ने क्षेत्र में जनसंपर्क व प्रचार शुरू कर दिया है। कांग्रेस में टिकट के लिये लंबी लाइन है। कांग्रेस यहां अपना विधायक और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाना चाहती है । लोगों की मानें तो यहां कांग्रेस के चार दावेदारों का नाम चल रहा जिसमें बलराम(बल्लु गौंटिया) राजेश लहरें, बालेश्वर साहु, चौलेश्वर चंद्राकार के नाम शामिल है । हालाँकि सतही तौर पर यहां कांग्रेस और बसपा की टक्कर दिख रही है, पर जनता की राय में भाजपा यदि पिछड़ा वर्ग के किसी महिला उम्मीदवार को खड़ा करें तो वह विजयी हो सकता है। वैसे तो भाजपा से निर्मल सिन्हा और गगन जयपुरिया के नामों की चर्चा हो रही है पर एक नया नाम अचानक ज़िला महामंत्री महिला मोर्चा, मोहन कुमारी साहू का आगे आ रहा है, जो छत्तीसगढ़ साहू संघ की उपाध्यक्ष हैं।

मोहन कुमारी कई सामाजिक कार्यों जैसे नशा मुक्ति अभियान, स्व सहायता समूहों के गठन, और नारी सशक्तिकरण के लिये भी जानी जाती हैं, तथा इनमें उत्कृष्ट कार्य करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हो चुकी हैं। ग़ौरतलब है कि इस क्षेत्र में साहू समाज के बहुत से वोटर हैं और महिला वोटरों की बहुतायत का समीकरण उन्हें जीत दिला सकता है।

लिहाज़ा अब कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार का चयन अंतिम चरण में है। सभी इच्छुक दावेदार जम कर लाबिंग व संपर्क में लगे हैं। देखने वाली बात यही है कि ऊँट किस करवट बैठेगा । बसपा के केशव चंद्रा हैट्रिक बनाते हैं या महिला व पिछड़ा वर्ग बहुल इस सीट पर मोहन कुमारी भाजपा के अन्य दावेदारों से आगे आकर विजय पताका लहराती हैं। चलिये समय का इंतज़ार करते हैं।
( सक्ती ब्यूरो)

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