आप विचार कीजिए, जो विद्यालय का मुखिया और उसकी महबूबा शिक्षिका जब स्कूल में इस तरह का कुकर्म करते हैं, तो बच्चों को क्या पढ़ाते होंगे? क्या शिक्षा देते होंगे? और क्या ये लोग छात्राओं पर गंदी नजर नहीं डालते होंगे? मजबूर छात्राओं का शोषण नहीं करते होंगे?
कौन माता-पिता अपनी बच्चियों को स्कूल पढ़ायेंगे? कौन परिजन अपनी फूल जैसी नाजुक बेटी को स्कूल पढ़ने भेजेंगे?
इन दोनों को सस्पेंड किया गया है, केवल सस्पेंड। इनको बर्खास्त करके दस साल जेल में डाल देना चाहिए और इसे प्रदेश की स्कूलों में ढंग से बताया जाना चाहिए, ताकि आगे से कोई हरामी ऐसे कुकर्त्य करने की हिम्मत नहीं कर पाए।
रिपोर्टर-अंकित गुप्ता
Leave a comment