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Home Policewala इंदौर के श्री तिलकेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर उपाश्रय में मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी के धर्म से ओतप्रोत प्रेरणादायी व जीवनोपयोगी बहुत सरल प्रवचन की वर्षा हो रही है।
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इंदौर के श्री तिलकेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर उपाश्रय में मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी के धर्म से ओतप्रोत प्रेरणादायी व जीवनोपयोगी बहुत सरल प्रवचन की वर्षा हो रही है।

इंदौर मध्य प्रदेश

आज श्रावक जीवन की नींव को मजबूत बनाने के लिये शस्त्रों में उल्लेखित अनेक उपाय बताये। श्रावक को ऐसा कार्य करना चाहिये जिससे घर में धर्ममयी वातावरण बना रहे। घर में किस प्रकार से निवास करना चाहिये और घर में क्या उचित एवं क्या अनुचित है।
घर के शो केस में जीव-जन्तु, फल-फूल आदि वस्तुएं की कृति रखी जाती हैं वे उचित नहीं है क्योंकि यदि उनको देखकर हमारे मन में आसक्ति/राग पैदा हो गया और उस समय आयुष का बंध हुआ तो हम भी वही बनेंगे। घर के अंदर हमेशा साधु-संतों की दीक्षा के सामान रखना उचित है। यदि जीव-जन्तु आदि वस्तुएं रखना भी हैं तो भगवान के समोसरण की कृति बना कर उसमें रखें। घर में कभी भी लड़ाई-झगड़े के चित्र नहीं लगाना चाहिये क्योंकि इनसे क्लेश अशान्ति पैदा होती हैं। घर में कांटे वाले पौधे नहीं लगाना चाहिये परंतु प्रभु को चढ़ने वाले फूलों के काँटों वाले पौधे लगाए जा सकते है। दक्षिण मुखी मकान नहीं होना चाहिये परंतु राज मार्ग वहाँ से जाता हो तो दोष दूर हो जाता है।
घर मंदिर में पाषाण प्रतिमा न रखकर धातु या रत्नों की प्रतिमा रखना उचित है। प्रतिमा 11 इंच से अधिक नहीं ना हो और परिकर वाली हो। श्री महावीर स्वामी (घोर उपसर्ग हुए),श्री मल्लीनाथ भगवान (स्त्री अवतार) एवं नेमिनाथ भगवान (बाल ब्रह्मचारी) होने के कारण उनकी प्रतिमा घर में नहीं रखते हैं। जीवन में तीन परिस्थितियाँ आवश्यक हैं। प्रथम – पुण्य को हासिल करने के लिये “नमना” आवश्यक है। श्री हनुमान ने भी आसक्ति भाव छोड़ा और संयम लिया एवं केवलज्ञानी होकर मोक्ष गये। आसक्ति भाव छोड़ कर वैराग्य भाव लाना ही “नमना’ है। पुण्य की लालिमा कभी भी पापों की कालिमा बन सकती है इसलिए “नमना” ज़रूरी है। दूसरा – स्वयं से अपराध होने पर “खमना” अर्थात क्षमा मांगना एवं जिसने हमारे प्रति गलत किया है उसको क्षमा करना ही धर्म है। “खमना” से जीवन में विषाद नहीं पनपता है। और तीसरा – सभी जीवों के प्रति हृदय में “करुणा” एवं वात्सल्य भाव होना चाहिये। “करुणा” भाव ही सभी को अपना बना देता है।
मुनिवर कल रविवार 6-अगस्त को श्री अष्टापद की भाव यात्रा करवाएंगे। भाव यात्रा बिल्कुल आँखों देखा हाल है क्योंकि वे तीर्थ के बारे में कई बहुत रोचक जानकारियाँ भी देंगे जो हमको अभी तक पता नहीं है। “आओगे तो पाओगे नहीं तो पछताओगे”
प्रवचन में मुख्य रूप से अभय सुराणा, देवेन्द्र जैन धारवाले एवं सुनीता पोरवाल के साथ-साथ कई धर्मप्रेमी पुरुष एवं महिलायेँ उपस्थित थे. सिद्धि तप की उग्र तपस्या कर रही 10 महिलाओं का छटी बारी पारणा बहुत आनंद से हुआ और कल से 7 उपवास बारी चालू होगी उनकी सभी की बहुत बहुत अनुमोदना।

रिपोर्ट अनिल भंडारी

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