इंदौर मध्य प्रदेश जिसमें बहुत संख्या में पुरुष,महिलायें एवं बच्चे सम्मिलित हुए। महिलाओं ने साध्वीजी की बहुत सुंदर पालकी को अपने कंधों पर उठाया रखा था। सभी के दिल में अति उत्साह दिख रहा था। इस अवसर पर दिलीप शाह ने विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी श्री संघ को दी। राजेश जैन, युवा ने आचार्य श्री से चौमासा परिवर्तन की विनंती प्रस्तुत की।
तप से तन की शुद्धि, पवित्र प्रकृति एवं आत्मा की मुक्ति संभव है – प्रवचन
मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने साध्वीजी श्री क्षायिक रेखा श्री जी म.सा. के 46 उपवास पूर्ण होने पर तप अनुमोदना एवं तप गुणगान के अवसर पर बताया कि, जिन शासन में कई महान योग के प्रभाव से आत्मा का कल्याण कर सकते हैं। जिसके पास सरल हृदय है वह परमात्मा की भक्ति-योग से, जिसके पास दिमाग का पावर है वह ध्यान-योग से एवं जिसके पास मनोबल है वह तप-योग से जुड़ सकता है। हम मनोबल की शक्ति से कड़ी तपस्या करके पापों का पलायन एवं पवित्रता का आगमन अपने जीवन में कर सकता है। तप करने से कई विपत्तियाँ का विनाश हो सकता है। जैसे :-
1. विघ्न का विनाश – तप एक ऐसा अचूक शस्त्र है जिसके माध्यम से हम अनेक विघ्नों का नाश कर सकते है। इसके कई प्रत्यक्ष दृष्टांत विद्यमान हैं। श्री हीरसूरीजी म.सा. ने आयंबिल तप करके एक राजा की कैद से जैन धर्म के अनुयायियों को मुक्त करवाया था।
2. रोग विनाश – वर्तमान में इसके अकाट्य प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद हैं कि, जैन तपस्या (उपवास) से असाध्य रोगों का भी निवारण हो जाता है जैसे कैंसर आदि। बीमारी में पशु भी उपवास (चारा त्याग) करते हैं।
3. कर्म विनाश – तप करने से सभी प्रकार के कर्मों का क्षय होता है। तप से गुणात्मक लाभ प्राप्त होते हैं इसलिए वे हमारे कर्म काटने का कार्य करते हैं।
4. सर्व सुखदाता – तप करने से सिद्धि प्राप्त होती है जो सर्व सुख का कारण हैं।
5. विकार का विनाश – तप से इंद्रियों के विषय विकार का विसर्जन भी संभव है क्योंकि तप की अवधि में इंद्रियाँ धर्म क्रिया में लीन रहती हैं जिससे पापकर्म बंध नहीं होते हैं।
इस अवसर पर रेसकोर्स रोड मंदिर से पधारे साधु भगवंत श्री चारित्ररत्नसागर जी म.सा. ने भी प्रवचन दिये। उन्होंने साध्वीजी की तप अनुमोदना में बताया कि, उनके तप में छः प्रकार की विशेषताएं थीं। (1) वंडरफुल तप – बिना किसी विघ्न बाधा के तप पूर्ण हुआ और इस दौरान साध्वीजी जी ने सभी धर्म क्रियाएं पूरे भाव से कीं, (2) कलरफुल – विभिन्न अभिग्रह धारण करके उनको पूर्ण किया, (3) ब्युटीफूल – 46 दिन की सुंदर आराधना थी, (4) पावरफुल – लंबी तपस्या का लाभ मिला, (5) वेराइटीफुल – आचार्य भगवंत एवं सभी साधु-साध्वीजी की व्यावच्छ में कोई कसर शेष नहीं रखी एवं (6) सक्सेसफुल – आहार संज्ञा पर पूर्ण नियंत्रण करके सभी आसक्तियों को परास्त करने में सफलता हासिल की।
दोनों ही साधु भगवंत ने अपने प्रवचन के माध्यम से मनुष्य जीवन में तपस्या की सार्थकता का बहुत ही प्रभावी एवं वर्तमान समय के अनुकूल सुंदर चित्र प्रस्तुत करके सभी को मंत्र-मुग्ध कर दिया।
मुनिवर का नीति वाक्य
“‘तप रूपी वाशिंग मशीन से आत्मा रूपी कपड़ों की सफाई संभव है” रिपोर्ट अनिल भंडारी
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